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जुड़वा बच्चों ने बढाया भारत का मान

 मिलिए , 10 साल के जुड़वा ह्यूमन कैलकुलेट से, जिन्हें मिला (Human Calculator) का खिताब, Germany में लहराया भारत का झंडा



"बात अगर प्रतिभा की हो तो उम्र नहीं देखी जाती" और इस बात को जालौन के रहने वाले 10 साल के जुड़वा बच्चों ने साबित कर दिया है। एकेडमी से मिली ट्रेनिंग के बाद छात्रों ने (Germany) में आयोजित हुई जूनियर मेंटल कैलकुलेटर वर्ल्ड चैंपियनशिप में हिस्सा लेकर देश के लिए सिल्वर मेडल जीता और भारत का परचम लहराया। 6 सालों की मेहनत और डेढ़ साल के इंतजार के बाद इस चैंपियनशिप को जीतने का मौका मिला। इसके पहले भी छात्र (इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड), (एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड) और इंडोनेशिया में गोल्ड जीत चुके हैं। 

 

दरअसल, उरई नगर के मुहल्ला पाठकपुरा के रहने वाले नवनीत और पूजा माहेश्वरी के 2 बेटे और 1 बेटी है और हर बार की तरह इस बार भी उन्होंने जर्मनी में आयोजित मेंटल कैलकुलेटर वर्ल्ड चैंपियनशिप में प्रतिभाग कर अपने हुनर का परचम लहराया है। साल भर में एक बार आयोजित होने वाली इस चैंपियनशिप प्रतियोगिता में ऋषभ और राघव ने माहेश्वरी ने सिल्वर जीता है। साथ ही इस प्रतियोगिता ने जीतने के बाद उन्हें (ह्यूमन कैलकुलेटर) के खिताब से नवाजा गया है। जुड़वा बच्चों की इस सफलता पर परिवार को नाज हैं तो जिले के लोगों को गर्व महसूस हो रहा है।

 

जीत के बाद मिला ह्यूमन कैलकुलेटर का खिताब 

 

ऋषभ और राघव माहेश्वरी की मां पूजा व पिता नवनीत माहेश्वरी ने बताया कि पिछले डेढ़ से इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने की तैयारी चल रही थी और एकेडमी की मेल के द्वारा कन्फर्मेशन होने के बाद जर्मनी के (बीलेफ़ेल्ड) शहर में 23 सितंबर को आयोजित हुई इस जूनियर मैंटल केलकुलेटर प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। इस प्रतियोगिता में दुनियाभर से 50 से ज्यादा देशों ने हिस्सा लिया था और हर एक ग्रुप में 30 बच्चे शामिल थे। जिसमें जूनियर फर्स्ट से ऋषभ और राघव ने सिल्वर मेडल के साथ ट्राफी जीतकर ह्यूमन कैलकुलेटर का खिताब अपने नाम कर लिया है। 

 

6 सालों की मेहनत ने बच्चों के दिमाग को बना दिया ह्यूमन कैलकुलेटर

 

इन बच्चों के पिता नवनीत माहेश्वरी का कहना है कि जब वह 4 साल के थे तो उनकी टीचर ऋतु माहेश्वरी ने इन्हें ट्रेनिंग देना शुरु की और फिर राहुल और अजय सर के जरिए कोटा की ट्रेंड अबेकस एकेडमी ने बच्चों के हुनर को परखा जिसके बाद उनके बच्चों को आगे बढ़ने का मौका मिला। 2018 में कोटा की अबेकस एकेडमी से इस मिशन की शुरुआत हो गई थी और यह फिर यह मिशन बढ़ता ही चला गया। इस अवॉर्ड के पहले बच्चों ने अपनी कड़ी मेहनत के दम पर (इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड), (एशिया बुक और रिकॉर्ड) व इंडोनेशिया में गोल्ड मेडल जीतकर खुद के हुनर का डंका बजवाया है। 

घर वापस लौटने पर ढोल नगाड़ों के साथ हुआ स्वागत 

विदेशी धरती पर प्रतियोगिता को जीतने के बाद 10 वर्षीय ऋषभ और राघव जब अपने परिवार के साथ घर लौटें तो ढोल नगाड़ों के साथ उरई के रेलवे स्टेशन पर उनका फूल मालाओं के साथ जमकर स्वागत हुआ। वहीं, जालौन के जिलाधिकारी राजेश पांडेय ने भी होनहार बच्चों को सम्मानित किया। बच्चों की इस जीत पर परिवार के रविशंकर, बृजेश, दीपा, रागिनी और तारादेवी माहेश्वरी फूले नहीं समा रहे हैं तो वहीं शहर के लोग भी बेहद खुश नजर आ रहे हैं। बच्चों का कहना है कि अब वह यहां से और भी ज्यादा मेहनत करेंगे और पूरी दुनिया में तिरंगे के मान व सम्मान को ऊंचा रखेंगे।

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