आगरा में चिकित्सकों ने रकम ऐंठने के लिए खांसी का इलाज कराने किसान को कैंसर का मरीज बताकर दस लाख रुपए खर्च कर आपरेशन की सलाह दे दी। किसान को चंद दिनों का मेहमान बताने पर वो अवसाद में आ गया। इतनी रकम पास न होने के कारण किसान ने अन्य हायर सेंटर में जाकर दोबारा जांच कराई तो उसे कोई बीमारी न होने की जानकारी मिली। इसके बाद किसान 21 महीने तक कार्रवाई के लिए अधिकारियों के चक्कर काटता रहा। चिकित्सकों की जांच चिकित्सकों ने ही की और अंत में गलत रिपोर्ट देने वाली पैथोलॉजी के संचालक चिकित्सक पिता पुत्र को दोषी मानकर रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी। पुलिस ने दो चिकित्सकों पर मुकदमा दर्ज किया है।
अछनेरा के कुकथला के रहने वाले राजकुमार ने खांसी की शिकायत पर सरोजनी नायडू मेडिकल कालेज के प्रोफेसर डॉ टीपी सिंह को दिखाया। सरकारी डाक्टर ने घर पर बुलाकर मोटी फीस लेकर दवा दी। दवा खाने के बाद पीड़ित को खांसी के साथ खून की उल्टी आने लगी । दोबारा दिखाने पर उन्हें डॉक्टर मुकेश शर्मा के पास भेज दिया। डाक्टर मुकेश ने बायोप्सी और अन्य जांच दो लैब से कराई। राजकुमार को फेफड़ों का कैंसर बताकर कुछ दिनों का मेहमान बताया। संतुष्टि के लिए एक अन्य चिकित्सक को दिखवाया ,वहां भी कैंसर की बीमारी बताई गई और आपरेशन का खर्च दस लाख बताया गया। पीड़ित के पास इतना धन नहीं था तो उसने एम्स रेफर करने का आदेश डाक्टर मुकेश से लिखवाया। एम्स में जांच नहीं हुई पर मुंबई के टाटा अस्पताल और नोएडा मेदांता में जांच कराने पर कैंसर नहीं निकला। 21 माह बाद अब पीड़ित की शिकायत पर क्लिनिकल पैथोलॉजी के डा अर्पित और डा अनिल अग्रवाल पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज हुआ है।