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शिक्षा के मंदिर की शर्मनाक तस्वीर आयी सामने



 पांच साल से चौमुहां ब्लॉक के नगला पुरिया उच्च प्राथमिक विद्यालय के छात्र तंबू में बैठकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, इस विद्यालय का भवन ध्वस्त किया जा चुका है, लेकिन भवन तोड़ने के बाद हाकिम भूल गए हैं, विडंबना यह है कि इस क्षेत्र के विधायक चौधरी लक्ष्मी नारायण कैबिनेट मंत्री हैं और इस जिले के प्रभारी मंत्री स्वयं बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह हैं।

इस विद्यालय के प्रधानाध्यापक सीएम पोर्टल से लेकर जिले के सभी उच्च अधिकारियों से शिकायत कर चुके हैं, लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिल पाई है। किसी भी तरह की सुविधा न होने की वजह से विद्यालय में छात्रों के नामांकन की संख्या भी कम हो गई है।

छाता विधानसभा क्षेत्र के ब्लॉक चौमुंहा के उच्च प्राथमिक विद्यालय नगला पूरिया के हालात बेहद खराब हैं। विद्यालय के छात्र पिछले पांच साल से कभी खुले आसमान के नीचे, तो कभी टेंट के नीचे जमीन परं दरी बिछाकर पढ़ रहे हैं। प्रधानाध्यापक दयाराम ने बताया कि विद्यालय का भवन काफी

साल पहले जर्जर हो चुका था। भवन गिरने के डर से पांच साल पहले छात्र छात्राओं ने कक्षों में पढ़ना छोड़ दिया। तभी से छात्र कभी खुले आसमान के नीचे, बारिश और तेज धूप होने पर टैंट के नीचे बैठकर पढ़ रहे हैं।

उन्होंने बताया कि एक साल पहले विद्यालय के गिरासु हालत में खड़े चार कमरों और कार्यालय में ताला लगा दिया गया था। जनवरी 2023 में विद्यालय के जर्जर भवन की नीलामी हुई। नीलामी के करीब 15 दिन बाद विद्यालय के सभी कमरों को जमींदोज कर दिया गया। नीलामी से विभाग को 2 लाख 31 हजार की धनराशि प्राप्त हुई थी।

इस पैसे से कक्षों का निर्माण किया जाना संभव नहीं है। इसलिए नीलामी से प्राप्त हुई धनराशि विभागीय खाते में जमा है। प्रधानाध्यापक ने बताया कि वो खुद तीन बार सीएम पोर्टल पर शिकायत कर चुके हैं। जिले के सभी उच्चाधिकारियों से लिखित में शिकायत कर चुके हैं। इसके बाद भी हालातों में कोई सुधार नहीं हो पाया है। बीच में एक बार छात्रों को दूसरे विद्यालय में शिफ्ट करने का प्रयास किया गया था लेकिन नगला पूरिया विद्यालय से दूसरे विद्यालय में जाने के लिए कोई सही रास्ता नहीं था। इसलिए बच्चों को यहीं पर पढ़ाना पड़ रहा है।

साल दर साल कम हो रही है छात्रों की संख्याः प्रधानाध्यापक दयाराम ने बताया कि वर्ष 2016 में उन्हें विद्यालय में प्रधानाध्यापक का चार्ज मिला था। तब यहां छात्रों को संख्या करीब 100 थी। तंबू में पढ़ाई के कारण अब 30 छात्र ही शेष बचे हैं। इनमें भी कई छात्र विद्यालय में पढ़ने नहीं आते हैं।

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