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भ्रष्टाचार के आरोप में हटाई गई गोरखपुर एम्स की निदेशक डॉ. सुरेखा,सीवीसी ने 15 गवाहों के दर्ज किए बयान के बाद की कार्रवाई

दोनों बेटों की नियुक्ति में घिर गई एम्स की डायरेक्टर



गोरखपुर। एम्स गोरखपुर की कार्यकारी निदेशक डॉ सुरेखा किशोर ने एक जून 2020 को ज्वाइन किया। उनका कार्यकाल पांच वर्ष का था, लेकिन एक साल के भीतर उनके खिलाफ बगावत का बिगुल बजने लगा। अनियमितताओं की शिकायत बीते दो साल से हो रही थी। एम्स में कार्यकारी निदेशक पद पर डॉ. सुरेखा किशोर के पांच साल पूरे होने से पहले ही उन्हें हंटा दिया गया।

एम्स में डॉक्टरों व कर्मचारियों का एक धड़ा ही विरोध में नहीं था, बल्कि गवर्निंग बॉडी के लोग भी असंतुष्ट थे। सीवीसी (केंद्रीय सतर्कता आयोग) ने जांच रिपोर्ट में 15 गवाहों के बयान दर्ज किए और साक्ष्य के तौर पर पुख्ता सबूत जुटाए।

सबसे पहला विरोध उत्तराखंड के एक डॉक्टर के चयन पर हुआ। इसमें आरोप लगा कि उक्त डॉक्टर ने फर्जी प्रमाणपत्र लगाकर मेरिट में जगह बनाई। मामले की शिकायत दिल्ली तक पहुंच गई। यहीं से डॉक्टरों के एक गुट ने उनसे दूरी बना ली और अनियमितता की शिकायत की।


सीवीसी से हुई शिकायत में यह आरोप लगाया गया था कि सितंबर-अक्तूबर 2021 के उपस्थिति रजिस्टर से पता चलता है कि डॉ शिखर किशोर वर्मा अपनी ड्यूटी पर नहीं आ रहे थे, जबकि उपस्थिति अन्य दो वरिष्ठ डाक्टरों ने दर्ज की थी। शिकायतकर्ता ने रजिस्टर के जो साक्ष्य उपलब्ध कराए हैं, उसमें दोनों महीने में 1 से 14 तारीख तक डॉ विवेक हाड़ा और डॉ अरुप मोहंती ने हस्ताक्षर किए थे, जबकि एम्स प्रशासन की ओर से उपलब्ध कराए गए रजिस्टर में डॉ शिखर के भी हस्ताक्षर हैं। जिस दिन डॉ शिखर, सीएल (अवकाश) पर थे, उसकी भी हाजिरी बना दी गई। यह सब वेतन को लेकर किया गया। जांच में सारे आरोपों की पुष्टि हुई है।


12 जुलाई 2021 को जूनियर रेजीडेंट पद के लिए साक्षात्कार का परिणाम घोषित किया गया था। इसमें डॉ शिवाल किशोर वर्मा चयन के लिए एकमात्र उम्मीदवार थे। डॉ वर्मा को कुल 50 में से सर्वाधिक 33.5 अंक मिले।पांच में तीन सदस्यों के हस्ताक्षर प्राप्त हुए। हालांकि, मार्कशीट पर चयन समिति के पांच में से तीन सदस्यों के ही हस्ताक्षर हैं।


निदेशक के बेटे के साक्षात्कार के पहले उनके द्वारा यह जानकारी दी गई।उनका एक रक्त रिश्तेदार जूनियर रेजिडेंट साक्षात्कार में शामिल हो रहा है, जबकि उन्होंने बेटे का जिक्र तक नहीं किया। दस्तावेजों से पता चलता है कि गैर- शैक्षणिक जूनियर रेजिडेंट (मेडिकल) एम्स, गोरखपुर का परिणाम 1 मार्च, 2021 को घोषित किया गया था और डॉ शिखर किशोर वर्मा को 68 के साथ रैंक एक दिया गया था। इसके अलावा कोई अन्य रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है।सीवीसी की तरफ से एम्स निदेशक को चार्जशीट देने को निर्देशित किया गया था। प्रारंभिक जांच में उनकी भूमिका सेवा नियमावली के तहत नहीं मिली। जांच जारी रहेगी।

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