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कवि सम्मेलन में कवियों ने बांधा समा

 पढ लिखकर जो भटक रहे हैं, उन युवकों को रोजगार दें

कवि सम्मेलन में जीवन्त हुये वर्तमान सन्दर्भ




 साहित्यिक संस्था शव्दांगन द्वारा आवास विकास कालोनी स्थित सावित्री विद्या विहार स्कूल के सभागार में कवि सम्मेलन का आयोजन वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ की अध्यक्षता में किया गया। पल्लवी शर्मा द्वारा प्रस्तुत मां शारदे की वन्दना से आरम्भ कवि सम्मेलन में कवियों ने समय के अनेक सन्दर्भो पर रचनाये प्रस्तुत कर वाहवाही लूटी।
मुख्य अतिथि डा. वी.के. वर्मा ने कहा कि साहित्य हमें अपने अतीत, वर्तमान और भविष्य के त्रिकोण से जोड़ता है। उनकी रचना ‘ मैंने तुमको अपना समझा, अपना सब कुछ किया समर्पण, मगर अचानक तुमने मेरा तोड़ दिया क्यों प्यार का दर्पण’ को सराहना मिली। विशिष्ट अतिथि बाल संरक्षण अधिकारी वीना सिंह ने कहा कि कवितायें हमें संवेदनशील बनाती है। अध्यक्षता कर रहे डॉ. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ ने कुछ यूं कहा- आप उन्हें भरपूर प्यार दें,उनके चेहरे को निखार दें, पढ लिखकर जो भटक रहे हैं, उन युवकों को रोजगार दें’ सुनाकर बेरोजगारी के दर्द को स्वर दिया।
कवियत्री नेहा मिश्रा ने कुंछ यूं कहा- ख्वाहिशों की तपन तो चली जा रही, हो गई जेठ की दोपहर जिन्दगी सुनाया। डा. सत्यमवदा की रचना- भले कोई कहे कितना ये मुमकिन हो नहीं सकता, सियासत आदमी को आदमी रहने नहीं देती, सुनाकर राजनीतिक विद्रूपताआंें को उजागर किया। विनोद उपाध्याय ‘हर्षित’ ने कुछ यूं कहा-‘ निकलता है नहीं कोई घर से, सुना है जान का खतरा बहुत है, सुनाकर आज के संकटों पर रोशनी डाली। फैज खलीलाबादी के शेर‘ बैठ जाते हैं जहां वक्त बिठाता है हमें, हम किसी सीट पर रूमाल नहीं रखते हैं, सुनाया। आयोजक अजय ने उपस्थिति कवियों, श्रोताओं के प्रति आभार व्यक्त करते हुये वीर रस की रचनायंें सुनाई। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रोता उपस्थित रहे। 

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