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निषादों के हक के लिये सड़क पर उतरे संजय निषाद

 निषाद पार्टी की संवैधानिक अधिकार रथ यात्रा सोमवार को सहारनपुर के शाकुंभरी देवी से शुरू होकर मुजफ्फरनगर पहुंची थी।



इस दौरान इस यात्रा की अगुवाई कर रहे निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री डॉक्टर संजय निषाद ने संभल घटना के बाद अब समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के नेताओं द्वारा संभल जाने को लेकर कहा कि मैं समझता हूं कि संभल की घटना एक सुनियोजित प्लान थी लेकिन अब लाशों पर राजनीति नहीं होनी चाहिए उन्होंने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया में लोगों को साथ देना चाहिए इस घटना की न्यायिक जांच कमेटी बन गई है जिसके चलते अब सब दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।

डॉ संजय निषाद की माने तो देखिए सहारनपुर के शाकुंभरी देवी से शुरू होकर यह सोनभद्र तक जाएगा इसमें जो शोषित वंचित समुदाय हैं इसमें सबसे ज्यादा अंग्रेजों से लड़ने  वाली जातियां हैं 578 वह है जिसमें कश्यपो की साधवो की धीवर कहार केवट मल्लाहओ की संख्या अधिक है क्योंकि यह सड़क से नहीं नदी से  के आक्रमणकारी देशआए थे और सबसे पहले सामना उन्हें से हुआ था उन्होंने कानून बनाकर उजाडा था तो ऐसी सभी जातियां जो क्रिमिनल कास्ट घोषित हैं अंग्रेजों के द्वारा और उन्हें कानून से उजाडा गया था उन्हें बसाने के लिए भारत में पहली बार एक क्रिमिनल टाइप इंक्वारी कमेटी 1949 50 के अनुसार इन्हें 74 प्रकार की व्यवस्था देकर इनका विकास के मुख्य धारा में लाया जाए भारत का संविधान बना उसमें माझवार और गोत्रया मनवार और तूराहा जातियां हैं जिनकी उपजातियां हैं केवट मल्लाह बिन्द कश्यप धीवर कहार सब यह अनुसूचित जाति 1931 से लेकर 1991 तक गिनती होती थी लेकिन उप पुकारो नामो को इनकी उप जातियों को पिछड़ी जाति से निकाल कर उनके हक हिस्से को रोका गया अगर इन्हें आरक्षण मिला होता तुराहा का बाप का बना हुआ बेटे का नहीं बन रहा मछुआर बना हुआ तो आज के दिन में 31 दिसंबर 2016 को राज्यपाल ने पिछड़ी जाति से निकाल रखा है अब गिनती होने वाली है एक डेढ़ महीने बाद तो अनुसूचित जाति की गिनती होती है राष्ट्रपति ने एक नोटिफिकेशन जारी किया है ऐसे में इनकी गिनती में इनको बताना है इनको चेतन करना है ताकि संविधान में हक मिल सके बस इस हिसाब से उनको मिलता रहे यह बताना है कि अनुसूचित जाति का कालम संविधान में चाह रहे हैं अनुसूचित जाति में अनुसूचित जनजाति में पिछड़ी जाति में और सामान्य जाति में ऐसे में संविधान के कॉलम में अनुसूचित जाति और तुराहा जो इनका विकास के मुख्य धारा में लाने के लिए कम से कम अपने वोट से अपनी समस्याओं का समाधान कर सकें हमको लगता है कि एक सुनियोजित प्लान है और क्योंकि न्यायालय कोई भी निर्देश देता है तो अधिकारी उसका पालन करने के लिए बाध्य होता है तो न्यायिक प्रक्रिया में लोगों को साथ देना चाहिए और इसमें इस तरीके का जहां न्यायालय ने न्यायिक जांच लिख दिया न्यायिक जांच कमेटी बन गई तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा इस पर बयान बाजी नहीं होनी चाहिए देखिए लाशों पर राजनीति नहीं होनी चाहिए लोकसभा हमारी आज के दिन में हम सब को मिलकर इस उत्तर प्रदेश को सर्वोत्तम प्रदेश बनाने के लिए दंगा रहित करने के लिए माफिया रहित करने के लिए काम करना चाहिए विपक्ष के पास बयान बाजी के अलावा कुछ नहीं है नहीं नहीं आखिर न्यायिक जांच हो गया है नए न्यायिक जांच पर भरोसा करो ना जांच पर भरोसा करो न्यायालय पर भरोसा करो भारत के कानून पर भरोसा करें यह तो सभी का बनता है ना इसके अनुसार काम करना चाहिए किसी का भी बयान उनके निजी बयान हो सकता है उसके बारे में वही बयान का जवाब दे सकते हैं कि किन परिस्थितियों में उन्होंने बयान दिया है लेकिन हमारी सरकार किसानों के साथ है नौजवानों के साथ हर जाति के साथ हर धर्म के साथ बिना भेदभाव के साथ खड़ी है यह इसके लिए हम कहते हैं।


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