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प्राकृतिक चिकित्सा से सुधर सकता है आपका जीवन-सन्नो दूबे

 प्राकृतिक चिकित्सा से हर बीमारी का इलाज है संभव - योगाचार्या सन्नो दूबे


बस्ती।आयुष मंत्रालय द्वारा हर साल 18 नवंबर को राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस मनाया जाता है, ताकि प्राकृतिक चिकित्सा और इसके लाभों के बारे में लोगों की समझ बढ़े। प्राकृतिक चिकित्सा, वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति है, जो प्राकृतिक संसाधनों और गतिविधियों के उपयोग के माध्यम से प्राकृतिक स्वास्थ्य को ठीक करने और बढ़ावा देने पर केंद्रित है।पारम्परिक चिकित्सा पद्धति हाल के दिनों में बहुत ज्यादा प्रचलित हुई है।

राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस का आयोजन भारत और उसके बाहर आम जनता के बीच प्राकृतिक चिकित्सा के बारे में ज्ञान और जागरूकता फैलाने की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका लाभ आम जनमानस उठा सके ये कहना है आयुष विभाग के हेल्थ वेलनेस सेंटर शंकरपुर की योग प्रशिक्षिका योगाचार्या सन्नो दुबे का ।आज महिला महा विद्यालय में छात्राओं  को प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों के सिद्धांतों और लाभों के बारे में शिक्षित करने के इरादे से कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें योगाचार्या सन्नो दुबे ने प्राकृतिक चिकित्सा में विभिन्न विधियां आहार चिकित्सा, उपवास चिकित्सा, मिट्टी चिकित्सा, जल चिकित्सा, मालिश चिकित्सा, सूर्य किरण चिकित्सा, वायु चिकित्सा, क्षेत्रीय वनौषधियां का बिना दुष्प्रभाव प्रयोग होता है, जिसमें मुख्य उपचार मिट्टी की पट्टी, मिट्टी का स्नान, सूर्य स्नान, गर्म और ठंडा सेक, कटी स्नान, मेहन स्नान, पैर-हाथ का गर्म सेंक, वाष्प स्नान, पूर्ण टब स्नान, रीढ़ स्नान सर्वांग गीली चादर लपेट, छाती की पट्टी, व घुटने की पट्टी, एनिमा, जलनेती, वमन, माथे की पट्टी, पेट की पट्टी रोगानुसार मालिश की क्रियाएं के बारे में इसकी उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए सभी छात्राओं को यह सन्देश दिया की यह सरल सहज, उपचार की प्रक्रिया है, जिसे हमें जीवन में अपनानी चाहिए।महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो सुनीता तिवारी ने कहा कि प्रकृति ने हमें सब कुछ उपलब्ध कराए हैं प्रकृति के भंडार मे हर गुण हर रहस्य छिपे है l आयुर्वेद और योग को हमें अपने जीवन शैली में उतरना चाहिए तभी हम स्वस्थ बने रहेंगेlशारीरिक शिक्षा विषय की सहायक आचार्य डॉ संतोष यदुवंशी ने कहा कि आयुर्वेद के गर्भ में हर समस्या का समाधान है। प्रकृति अगर हमें समस्या देता है कि तो उसके समाधान का भी उपाय देता है। प्रकृति के जितने करीब हम रहेंगे उतना ही सुख के करीब रहेंगे।कार्यक्रम में काजल, रूप, विदुषी, शशि, रितिका,रेनू, एवं समस्त विद्यालय परिवार उपस्थित था।

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