छोटी दीपावली के पावन अवसर पर भारत विकास परिषद वशिष्ठ शाखा द्वारा गुरु गोविंद सिंह जी चौक पर एक भव्य दीप प्रज्वलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य समाज में अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर होने का संदेश देना था। कार्यक्रम में समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों और परिषद के सदस्यगण की उपस्थिति रही, जिन्होंने दीप जलाकर सकारात्मकता और सौहार्द्र का संदेश दिया।
कार्यक्रम का शुभारंभ संस्था के अध्यक्ष आशीष कुमार श्रीवास्तव के उद्बोधन से हुआ। उन्होंने कहा, "दीपावली का यह पर्व हमें यह प्रेरणा देता है कि हम अपने जीवन में अज्ञानता, भेदभाव और नकारात्मकता के अंधकार को दूर करें और ज्ञान, प्रेम और शांति का प्रकाश फैलाएं।" उन्होंने सभी से आग्रह किया कि वे समाज के उत्थान में योगदान करें और सद्भावना को बढ़ावा दें।
सचिव डॉ. कृष्ण कुमार ने अपने संबोधन में समाज में एकता और भाईचारे की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा, "हमारा समाज तभी उन्नति कर सकता है जब हम एक-दूसरे का सम्मान करें और मिलकर समाज के कल्याण के लिए कार्य करें। दीप जलाना केवल एक प्रतीक है, जो हमें अंधकार से बाहर निकलकर उजाले की ओर बढ़ने की प्रेरणा देता है।"
कोषाध्यक्ष प्रमोद तिवारी ने इस अवसर पर कहा, "दीपों का प्रकाश हमें यह संदेश देता है कि हम अपने भीतर की अच्छाई को जगाएं और समाज में प्रेम एवं सद्भाव की भावना को बढ़ावा दें। अज्ञानता और अंधविश्वास के अंधकार को दूर करके हमें ज्ञान और विवेक के मार्ग पर चलना चाहिए।"
उपाध्यक्ष संस्कार रामकुमार वर्मा ने भी इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा, "दीप प्रज्वलन न केवल दीपावली का प्रतीक है, बल्कि हमारे जीवन में उजाले की कामना का प्रतीक भी है। यह हमें याद दिलाता है कि हम समाज में सकारात्मकता का प्रसार करें और समाज के विकास के लिए मिलकर प्रयास करें।"
सदस्य लक्ष्मी अरोड़ा और लक्ष्मी अरोड़ा द्वितीय मनमोहन श्रीवास्तव काजू पीयूष सचदेवा संध्या दिक्षित शिवम
ने कार्यक्रम में भाग लेकर समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा, "हमें अपने छोटे-छोटे प्रयासों से समाज में एक बड़ा बदलाव लाने की प्रेरणा लेनी चाहिए। दीपों का यह प्रकाश हमें अपनी जिम्मेदारियों का एहसास कराता है।"
इस अवसर पर अन्य कई गणमान्य लोग और परिषद के सदस्य भी उपस्थित रहे। दीप प्रज्वलन के बाद सभी ने मिलकर दीपावली की शुभकामनाएं दीं और कार्यक्रम का समापन सामूहिक प्रार्थना के साथ किया गया।