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यूपी के इस गाँव में ब्राह्मणों की इंट्री हुई बैन

 यूपी के इस गांव में श्राद्ध माह में ब्राह्मणों की रहती है No Entry

पितृ पक्ष में श्राद्ध करने पर 100 साल से चली आ रही है पाबंदी

श्राद्ध माह में भिक्षुक को भी नही दी जाती भिक्षा

इस श्राप के डर से ग्रामीण नही करते श्राद्ध कर्म 



 उत्तर प्रदेश के संभल जिले के एक गांव में पितृ पक्ष में श्राद्ध करने पर करीब 100 साल से पाबंदी चली आ रही है पितृपक्ष में इस गांव में ब्राह्मणों के प्रवेश पर भी पूरी तरह से पाबंदी है यही नहीं इन 16 दिनों में गांव में किसी भी भिक्षुक को कोई भिक्षा नहीं दी जाती है आखिर संभल के गांव भगता नगला के लोग कई दशक बीतने के बाद भी अपनी पुरानी परंपरा पर आज भी क्यों कायम है ।

 आपको बता दें कि भारतीय संस्कृति में पितृपक्ष में मृतकों के श्राद्ध कर्म और दान पुण्य की परंपरा है इसके तहत ब्राह्मणों को भोजन दान आदि किया जाता है मगर संभल जिले के गुन्नौर तहसील इलाके के गांव भगता नगला के ग्रामीण श्राद्ध माह में ना तो ब्राह्मण को भोजन कराते हैं और ना ही इन दिनों कोई ब्राह्मण इस गांव में जाता है यही नहीं श्राद्ध के दिनों में इस गांव में ना ही कोई भिक्षुक जाएगा और यदि कोई भूल वश चला भी जाता है तो उसे भिक्षा नहीं दी जाती है इस गांव के लोग करीब 100 साल से श्राद्ध नहीं करते हैं श्राद्ध कर्म पर पाबंदी के अलावा पितृ पक्ष के 16 दिनों तक ग्रामीण मृतकों की आत्मा की शांति के लिए किसी भी प्रकार का पूजा पाठ, हवन आदि नहीं कर करते यही नहीं पितृ पक्ष के दिनों में इस गांव में ब्राह्मणों को एंट्री नहीं दी जाती गांव निवासी बुजुर्ग रेवती सिंह बताते हैं कि गांव की एक ब्राह्मण महिला भगता नगला गांव में किसी ग्रामीण के घर पर मृतक परिजन का श्राद्ध सम्पन्न कराने आई थी लेकिन श्राद्ध कर्मकाण्ड सम्पन्न कराने के बाद गांव में तेज बारिश शुरू हो गई बरसात की वजह से ब्राह्मण महिला को कई दिन तक ग्रामीण के घर पर ही रुकना पड़ा गांव में कई दिन बाद बारिश रुकने के बाद ब्राह्मण महिला जब वापस अपने घर पहुंची तो ब्राह्मण महिला के पति ने उसके चरित्र पर उंगली उठाते हुए अपमानित कर घर से निकाल दिया पति से अपमानित होने के बाद ब्राह्मण महिला वापस भगता नगला गांव पहुंची और ग्रामीणों को सारी बात बताते हुए ग्रामीणों से कहा पितृ पक्ष में श्राद्ध सम्पन्न कराए जाने की वजह से उसे अपमानित किया गया है ब्राह्मण महिला ने गांव वालों से कहा कि आपकी वजह से मेरे पति ने मुझे घर से निकाल दिया है इसलिए यदि आपने श्राद्ध किया तो आपका बुरा हो जाएगा ब्राह्मण महिला की पीड़ा को श्राप मानकर इस गांव के लोग करीब 100 साल से श्राद्ध न करने की परंपरा पर आज भी कायम है रेवती सिंह का कहना है कि श्राद्ध को छोड़कर बाकी के दिनों में ब्राह्मणों का गांव में आना-जाना रहता है विवाह आदि संस्कार भी ब्राह्मण ही संपन्न करते हैं।

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