उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हाल ही में “लव जिहाद” पर उम्र क़ैद की सज़ा का प्रावधान किए जाने पर प्रसिद्ध आलिम-ए-दीन मौलाना क़ारी इसहाक गोरा ने अपने विचार व्यक्त किए हैं। मौलाना गोरा ने कहा कि समाज में बेटियों की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है, चाहे वे किसी भी धर्म या समुदाय की हों। उन्होंने कहा, “हर समाज और मज़हब की बेटी के तहफ़ग़ुज़ के लिये क़ानून बनना चाहिए। बेटी हिंदू की हो या मुस्लिम की, सिख की हो और या ईसाई की, बेटी बेटी होती है और किसी भी बेटी के साथ अत्याचार नहीं होना चाहिए।”
मौलाना गोरा ने सरकार से आग्रह किया है कि वह इस क़ानून के बारे में अपने फ़ैसले पर पुनर्विचार करें। उन्होंने कहा कि क़ानून का उद्देश्य सभी बेटियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना होना चाहिए!
उधर, मुस्लिम विद्वान साहब नबी सिद्दीकी का कहना है कि कानून सभी धर्म के लिए समान होना चाहिए। अगर कोई मुस्लिम लड़की भी हिंदू युवक से शादी करती है और धर्म परिवर्तन करती है तो करवाई उसके खिलाफ भी होनी चाहिए।