एक हाथ नहीं तो क्या हुआ? हौसला तो था।
हौसला ने दिव्यांग अजीत को बनाया इंटरनेशनल खिलाड़ी, दिव्यांग अजीत यादव ने भाला फेंक प्रतियोगिता में देश के लिए कई बार जीता गोल्ड, कांस्य, और सिल्वर मैडल।
बता दें कि खिलाड़ी अजीत यादव ने अपना बायां हाथ एक रेल दुर्घटना में खो दिया था. इसके बावजूद उन्होंने अपनी मेहनत और प्रतिभा के दम पर यह कामयाबी हासिल की. अजीत की इस उपलब्धि पर पूरा क्षेत्र गौरवान्वित महसूस कर रहा है. किसान सुभाष चंद्र यादव के बेटे अजीत सिंह यादव भाला फेंक भारतीय पैरा एथलीट खिलाड़ी हैं. वो पुरुषों की भाला फेंक, एफ-46 श्रेणी में प्रतिस्पर्धा में भाग लेते हैं।
जनपद सहित देश का अजीत यादव ने किया नाम रोशन,
अजीत ने कहा कि“पंखों से कुछ नही होता हौसलों से उड़ान होती है, साथी खिलाड़ी अपना हौंसला बनाए रखें,उन्हें भी ऊंची उड़ान भरने का मौका मिलगा,”।