मुख्तार अंसारी की जब तबीयत खराब हुई थी और बांदा के मेडिकल कॉलेज पहुंचे थे और अफजाल अंसारी से उनकी बात हुई थी तब उन्होंने अपना इलाज किसी अन्य मेडिकल संस्थान में करने की बात कही थी जिसके लिए इन लोगों ने अपने खर्चे पर इलाज करने के लिए एप्लीकेशन भी दिया था क्योंकि आजम खान के मामले में ऐसा पहले हो चुका था और बांदा प्रशासन ने तीन से चार दिन का समय मांगा था और इन्हें खड़ा करने का दावा किया था। डॉक्टर से जबरदस्ती लिखवा कर उन्हें जेल में शिफ्ट कर दिया गया जो जांच का विषय है और उसके बाद में व्हील चेयर पर बैठा कर जेल भेज दिया गया था।
27 मार्च को मुख्तार अंसारी को मऊ जेल में वर्चुअल पेश किया गया था और उन्होंने खुद अदालत से कहा था कि यह लोग मेरी हत्या कर देंगे मुझे बचा लीजिए क्योंकि मुझे जहर खिला दिया गया है अगर निष्पक्ष जांच हो तो पूरी की पूरी पर्दा उठ चुकी है वहीं फॉरेंसिक एक्सपर्ट के द्वारा दिए गए बयान पर कहा कि फॉरेंसिक एक्सपर्ट ने भी बताया था कि यदि किसी को स्लो प्वाइजन दिया जाता है तो 1 महीने के बीच कभी भी मौत हो सकती है इसमें दो चीज होती है या तो लिवर डैमेज होगा या फिर कार्डियक अरेस्ट हो जाएगा और यदि जहर से कोई मरता है तो उसका हॉट पीला हो जाएगा जो मुख्तार अंसारी का कार्डियक अरेस्ट के बाद हार्ट पीला हो गया था।
मुख्तार को मारने के पीछे मानसीकता यह है कि 15 जुलाई 2001 को वह उसरी चट्टी पर जो कांड हुआ था उसका बादी मुकदमा मुख्तार अंसारी थे जिसमें नौ लोग इंजर्ड हुए थे दो लोग उनके वाहन में मारे गए थे और हमलावरों में से एक मर गया था जिसका 10 दिनों के बाद पहचान हो पाया था जो मनोज राय है बिहार का रहने वाला। उस मामले का ट्रायल अब शुरू हुआ है वहीं मुल्ज़िम के एप्लीकेशन पर मामला गाजीपुर से ट्रांसफर होकर लखनऊ पहुंच गया और इसमें खेल किया गया जो 22 साल के बाद किया गया और इसमें खेल यह हुआ की 15 को नहीं बल्कि एक दिन पहले 14 को मुख्तार अंसारी ने अपने ड्राइवर को बिहार भेज कर मनोज राय को उठाकर लाए और उन्हें मार कर फेंक दिया घटना एक और कहानी दो।
एक कहानी का मुकदमा 22 साल पहले लिखा गया और दूसरे कहानी का मुकदमा 22 साल के बाद मोहम्मदाबाद थाने में लिखा गया।
पूरी सरकार उन्हें यानी कि बृजेश सिंह को बचाने के लिए नंगी होने को तैयार है दिखाई नहीं दे रहा कि वह माफिया डॉन बृजेश सिंह जो देश के सबसे बड़े दुश्मन दाऊद इब्राहिम का पूरा सहयोगी है उसको कितना संरक्षण देकर वीआईपी ट्रीटमेंट दे करके आज घुमाया जा रहा है। इस मामले में 7 गवाह गुजर चुके हैं। और गुजरते हैं यदि बीच में मुख्तार का काम तमाम कर दिया जाए तो गवाह भी घबराएंगे क्योंकि इस मामले में मुख्तार सबसे बड़ा साक्ष्य है। और वह साक्ष्य मिट जाएगा।
जिस साक्ष्य को संरक्षण मिलना चाहिए उसकी हत्या की गई है षड्यंत्र के तहत। हम लोगों को विश्वास अभी भी है भारत में न्याय व्यवस्था अभी जीवित है वह तो कोशिश करेंगे। और जो पापी है उन्हें सजा दिलाने का काम हम करेंगे । उसरी कांड के पापियों के लिए उसरी कांड का क्रॉस मुकदमा करने वालों का भी उनके कर्म का सजा दिलाने के लिए।
मुख्तार की हत्या में जितने लोग सम्मिलित हुए चाहे वह जेल कर्मी हो या मेडिकल ऑफीसरों की टीम हो या एल आई यू एस टी एफ और शासन में बैठे लोग हो क्योंकि हमारे पास ऐसे ऐसे सबूत हैं जिसे रख देंगे तो मुंह फटा का फटा रह जाएग वह वक्त के साथ होगा क्योंकि यह लोग अभी लीपापोती करने में लगे हुए हैं।
मुख्तार के मौत के बाद न्यायिक जांच और मजिस्ट्रेट जांच की गई है जबकि पहले काम यह होना चाहिए कि हम उनके परिजन है और जो कह रहे हैं उसका मुकदमा दर्ज होना चाहिए उसके बाद जांच होनी चाहिए।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी इस मामले को लगातार उठा रहे हैं इस पर उन्होंने कहा कि इस हत्या के मामले में आम आदमी भी थू थू कर रहा है क्योंकि यह इतना घटिया कृत्य है क्योंकि जिस राज्य से कल्पना की जाती है कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन की रक्षा करेगा और जो व्यक्ति ज्यूडिशल कस्टडी में होकर राज्य को सोपा गया उसकी दोहरी जिम्मेदारी हो जाती है सुरक्षा की। लेकिन नहीं किया गया इस दौरान उन्होंने कहा कि दुनिया में कोई भी अमर नहीं है ना मुख्तार अमर है ना अफजल अमर है जो अपने को अमर समझता है वह समझते रहे उसे भी मरना है।