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झुग्गी के बच्चों को मिला सहारा,तो लहराया परचम

 झुग्गी झोपड़ी के आठ बच्चो ने दसवीं एवम बारहवीं की बोर्ड परीक्षा में लहराया परचम



जो बच्चे शिक्षा से कोसों दूर थे ,जो कभी कूड़े और कबाड़  बिनते थे ,जो कभी दूसरे के घरों में काम करती थे ,होटल में वेटर और बर्तन धुलने का काम करते थे ।

आज उन्ही झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चो ने अपनी बस्ती के साथ साथ अपने उन माँ बाप का भी नाम रोशन किया है जो कभी उन्हें  स्कूल जाने से यह कहकर रोकते थे अगर पढ़ने जाओगे तो दूसरों के घरो पर काम कौन करने जाएगा होटल में काम कौन करेगा , कूड़ा कौन बिनेगा और घर चलाने के लिये पैसे कहाँ से आएंगे।

आज इन बच्चो के बोर्ड परीक्षा में आये शानदार परिणाम ने  कई और बस्ती की बच्चो के  स्कूल जाने की राह खोल दी है ।,


चुंगी परेड  के पास और सीएमपी के पास हरिनगर झोपड़ पट्टी में  रहने वाले बच्चो  ने बोर्ड परीक्षा में शानदार प्रदर्शन किया है सभी बच्चे प्रथम श्रेणी से उत्तरीन हुए है।


 ऋतिक ने दसवीं की बोर्ड परीक्षा में 80℅ अंक हासिल किया,ऋतिक के  पिता ठेले पर गली गली में घूम घूम कर सब्जी बेचने का काम करते है,  ऋतिक बड़ा होकर इंजीनियरिंग के क्षेत्र में जाना चाहता है।

अमित के पिता ने 78% अंक हासिल किये , अमित के पिता जी मजदूरी का कार्य करते है अमित  डॉक्टर बनना  चाहता है।

दीपक कोरी ने 74% अंक हासिल किये, दीपक पहले होटल में वेटर का कार्य  का कार्य करता था दीपक विश्वकर्मा ने भी 74% अंक हासिल किया है दीपक की मां दुसरो के घरों में झाड़ू पोछा का कार्य करती है, नाजों ने 72% अंक हासिल किया है नाजों के पिता ऑटो ड्राइवर है।


बारहवीं के बच्चो ने भी लहराया परचम 

खुशबु बानो ने 85% अंक हासिल कर साबित कर दिया कि अगर बस्ती के बच्चियों को पढ़ने का मौका मिले तो वो कुछ भी कर सकती है, खुशबु के पिता जी रिक्शा चलाते है खुशबु बैंकिंग के क्षेत्र में जाना चाहती है।

शनि ने 70% अंक हासिल करने के साथ साथ गणित में 100 में से 96 अंक प्राप्त कर दिखा दिया कि झुग्गी झोपड़ी के बच्चो में अपार प्रतिभा है बस आवश्यकता है उन्हे सही मार्गदर्शन और सहयोग किया।


कोमल 70% ने  प्रतिशत अंक हासिल किये कोमल के पिता जी कबाड़ बीनने का काम करते है कोमल आगे चलकर आईपीएस बनना चाहती है

इन बच्चो  ने बहुत ही कठिन परिस्थितियों में अपनी पढ़ाई कर बोर्ड परीक्षा में शानदार सफलता हासिल किया किसी ने पिता जी के सब्जी के ठेले पर बैठकर पढ़ाई की तो किसी ने झोपड़ी में लाइट न होने की वजह से मोमबत्ती की रोशनी में पढ़ाई की।

आठ वर्ष पूर्व इन सभी बच्चो का दाखिला शुरुआत एक ज्योति शिक्षा की संस्था ने अलग अलग स्कूलों में कराया साथ ही साथ इन बच्चों की शिक्षा दीक्षा की पूरी जिम्मेदारी शुरुआत परिवार के द्वारा विगत आठ  वर्षों से  निर्वहन की जा रही है,इन बच्चों को सभी विषयों की तैयारी प्रतिदिन संस्था के शिक्षकों के द्वारा दस दस घण्टे कराई गई,जिसकी वजह से बच्चों ने शानदार सफलता अर्जित किया और साथ ही साथ बस्ती की और बच्चो के लिये भी शिक्षा की उम्मीद की किरण जगा दी है।

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