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मंदिर निर्माण के साथ पूरा हुआ संकल्प,33 वर्ष बाद दूल्हा बने डॉ महेंद्र

 श्री राम की जन्म भूमि पर मंदिर निर्माण के संकल्प के लिए 33 वर्षों तक किया शादी का इंतजार .. 

भव्य मंदिर में विराजमान हुए रामलला तो  अयोध्या जाकर अब की शादी । 



श्री राम जन्मभूमि मंदिर को लेकर लंबा संघर्ष चला । इस बीच बहुत सारे लोगों ने श्री राम की जन्म भूमि पर उनके भव्य मंदिर का सपना देखा तो किसी ने प्रतिज्ञा ली और किसी ने मानता मांगी कि मंदिर निर्माण होने पर ही यह हम काम करेंगे । इसी में एक ऐसा दंपति भी है जिन्होंने महज इसलिए विवाह नहीं किया कि उनकी प्रतिज्ञा थी कि जब प्रभु श्री राम का मंदिर बनेगा और अयोध्या में अपने भव्य मंदिर में विराजमान होंगे तभी वह शादी करेंगे । 

 अब जाकर सपना पूरा हुआ और श्री राम की जन्म भूमि पर ही उनका भव्य मंदिर निर्माण हो रहा है रामलला अपने भव्य मंदिर में विराजमान हो चुके हैं तो इस दंपति ने कार सेवक पुरम परिसर में स्थित यज्ञ वेदी के चारों ओर घूम कर सात फेरे लिए और पवित्र अग्नि को साक्षी मानकर साथ जीने मरने की कसमें खाई । बात यहीं समाप्त नहीं होती इन्होंने वरमाला के लिए भी इस माला का चयन किया जिसे प्रभु श्री राम के श्रृंगार के लिए श्री राम जन्मभूमि मंदिर में उपयोग किया गया था । 

अब इस दंपति का परिचय भी आपसे करा देते हैं । राजस्थान के जयपुर के रहने वाले डॉ महेंद्र भारती 1990 में ही विवाह के योग्य हो गए थे । मगर उसी  समय कारसेवकों पर गोली चलाई जाने से वह इतने व्यथित हुए की उन्होंने संकल्प किया कि जब तक राम मंदिर संघर्ष के दौरान बलिदान हुए उन लोगों का संकल्प पूरा नहीं होता और अयोध्या में श्री राम की जन्म भूमि पर उनका भव्य मंदिर नहीं बनता तब तक वह शादी नहीं करेंगे और ना ही गले में कोई माला  पहनेंगे । अब जबकि श्री राम की जन्म भूमि पर ही उनका भव्य मंदिर निर्माण हो रहा है और रामलला अपने भव्य मंदिर में विराजमान हो चुके हैं तो डॉक्टर महेंद्र भारती ने अजमेर की रहने वाली डॉक्टर शालिनी गौतम से 33 वर्ष की प्रतिज्ञा पूर्ण होने के बाद वहां शादी रचाई जहां अयोध्या में कार सेवकों के संघर्ष का लंबा इतिहास रहा है । डॉ महेंद्र 20 वर्षों से अधिक समय से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे हैं और उनके जीवन संगिनी शालिनी गौतम एक महाविद्यालय में बच्चों को पढ़ाती है और कहती है कि शादी के लिए इससे बेहतर अवसर और कोई दूसरा नहीं हो सकता था । जबकि महेंद्र कहते हैं कि यह सनातन संस्कृति की पुनर्स्थापना का दौर है इसलिए यह उनके व्यक्तिगत जीवन के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है । 

   बहुत आनंदित हूं बहुत अभिभूत हूं मैं यह क्षण और यह पल मेरे जीवन में सौभाग्य बनकर आया है। 1990 में कारसेवकों की निर्मम हत्या हुई थी तब मन काफी व्यथित हुआ था कभी संकल्प किया था कि भगवान श्री राम का मंदिर जब अयोध्या में बनेगा और भव्य मंदिर में मैं उनके दर्शन करूंगा तभी गले में माला पहनूंगा और विवाह करूंगा बहुत आनंद है की मनोकामना पूरी हुई है और बड़ा भव्य मंदिर श्री राम जी का अयोध्या में बना है उसका वर्णन करना शब्दों में बड़ा मुश्किल है एक युग परिवर्तन की बेला है वास्तव में सारे विश्व की निगाहें भारत के ऊपर हैं एक इतिहास बना है यह सनातन की पुनर्स्थापना का दिन है और विश्व के अंदर चराचर समुदाय के कल्याण का जो विचार है सारी दुनिया को आर्य बनाना है सारी दुनिया में शांति स्थापित होगी तो भारत के कारण होगी यह जो बात हमारे मठ मंदिरों में कही जाती है हम बोलते हैं धर्म की विजय हो अधर्म का नाश हो प्राणियों का कल्याण हो, विश्व का कल्याण हो ऐसा श्रेष्ठतम  विचार लेकर के दुनिया के समक्ष हम जा रहे हैं तो निश्चित तौर पर अगर विश्व का कल्याण किसी विचार से संभव है किसी पद्धति और परंपरा से संभव है तो वह सिर्फ और सिर्फ सनातन है ।


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