पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में समाजवादी पार्टी की दो दिवसीय कार्यकारिणी का आयोजन किया गया।कार्यकारिणी में 20 राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों के साथ पार्टी के सभी पदाधिकारी शामिल होंगे।
राजधानी कोलकाता का जे डब्ल्यू मैरियट होटल समाजवादी पार्टी के झंडे, बैनर और पोस्टर से पटा पड़ा है। दरअसल समाजवादी पार्टी यहीं से 2024 के लिए नया इतिहास लिखना चाहती है।उत्तर प्रदेश में अपनी खोई राजनीतिक पिच को फिर से वापस पाने के लिए समाजवादी पार्टी कोलकाता की पिच पर साइकिल का रिहर्सल कराना चाहती है। लगातार पिछले कई चुनावों में हार का मुंह देखने वाली सपा अब कोई भी कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती। यही वजह है कि समाजवादी पार्टी 2012 के बाद अब 2023 में पुनः कोलकाता को सही सियासी पिच समझ रही है। आपको बता दें कि 2012 में समाजवादी पार्टी की कार्यकारिणी की बैठक कोलकाता में हुई थी और उस समय अध्यक्ष पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव थे। 2012 में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी थी लेकिन उसके बाद पार्टी का ग्राफ लगातार गिरता जा रहा है। 2012 के बाद समाजवादी पार्टी लगातार चुनावों में हार का सामना कर रही है। यही वजह है कि सपा अपनी खोई जमीन वापस पाने के लिए दुबारा कोलकाता को चुना है। कोलकाता में सपा की कार्यकारिणी इसलिए भी अहम मानी जा रही है क्योंकि वहां तृणमूल कांग्रेस की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और अखिलेश यादव की मुलाकात 2024 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर थर्ड फ्रंट के लिए संजीवनी का काम करेगा। 18 और 19 मार्च को प्रस्तावित सपा की कार्यकारिणी में देश भर से आये 20 प्रदेशों के अध्यक्षों के साथ सक्रिय कार्यकर्ता और पार्टी के सभी पदाधिकारी शामिल होंगे।
दो दिवसीय सपा की कार्यकारिणी में इस साल के अंत में तीन हिंदी भाषी राज्य और आगामी 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर मंथन होगा। 18 मार्च को कार्यकारिणी के समक्ष आर्थिक और राजनीतिक प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाएगा। स्थापना के तीन दशक के बाद भी समाजवादी पार्टी अभी तक राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा नहीं पा सकी है। ऐसे में 2024 लोकसभा चुनाव से पहले सपा को आगामी सभी विधानसभा चुनावों में बेहतर प्रदर्शन करना होगा क्यों की केंद्र और राज्य दोनों में समाजवादी पार्टी को बीजेपी से कड़ी टक्कर लेनी है।
