भगवान श्रीराम की मूर्ति का परीक्षण शुरू
अयोध्या में भगवान राम लल्ला का भव्य दिव्य मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है और भगवान रामलला का मंदिर अक्टूबर 2023 में पूरा कर लिया जाएगा और अपने दिव्य भव्य मंदिर में भगवान राम लला जनवरी 2024 में विराजमान हो जाएंगे भगवान राम लला की मंदिर में रामलला की प्रतिमा स्थापित की जानी है प्रतिमा के लिए कई राज्यों से पत्थर लाया गया है और उन पत्थरों की टेस्टिंग की जा रही है की किन पत्थरो से भगवान राम लला की प्रतिमा बनाई जा सकती है और यह प्रतिमा दोनों पैरों पर खड़े होकर के भगवान राम लला मंदिर में विराजमान होंगे यानी की प्रतिमा खड़ी होगी और प्रतिमा बालस्वरूप बनाई जाएगी और इस प्रतिमा में विशेष बात यह होगी कि रामनवमी के दिन भगवान रामलला के मस्तक को प्रकासित करेगी सूर्य की किरण और इस तरह की प्रतिमा बनाई जायगी की जब भगवान राम लला का राम भक्त जब दर्शन करें तो राम भक्तों को ऐसा लगे कि साक्षात भगवान राम लला अपने दिव्य भव्य मंदिर में विराजमान है इसीलिए अनेकों प्रकार के पत्थर मंगवाए गए हैं और अलग अलग तरीके के पत्थरों की पहले प्रतिमा बनाई जाएगी और उन प्रतिमा में जो सबसे अद्भुत होगा उसी प्रतिमा को भगवान रामलला के मंदिर में विराजमान किया जाएगा।
भगवान रामलला के मंदिर में भगवान राम की बाल स्वरूप प्रतिमा स्थापित की जानी है प्रतिमा के लिए अनेक राज्यों से शीला अयोध्या लाई गई है और आज प्रतिमा बनाने को लेकर के अयोध्या के राम कारसेवक पुरम में बैठक की गई बैठक में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय सदस्य डॉ अनिल मिश्रा और कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरी समेत मूर्ति चित्रकार मौजूद रहे और चित्रकारों को वह शिला भी दिखाई गई है जो शीला अनेक राज्यों से भगवान रामलला के प्रतिमा बनाने के लिए लाई गई है श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरी ने कहा कि अलग-अलग जगह से शिला लाई गई है जैसे कर्नाटक राजस्थान और तमाम जगहों से शिला अयोध्या आई है और अब इन सब का परीक्षण निरीक्षण हो करके और जो उसमें चयन होगा और उसका चयन अंत मे किया जायेगा उन मूर्तियों में जो सबसे अच्छा विग्रह हम सभी को अच्छा लगेगा उसका चयन किया जाएगा और हम दीपावली से पहले इसका निर्णय कर लेंगे यहां पर सभी लोग अपने अपने नीलवर्ण के अलग-अलग शेष दिखा रहे हैं और उन शेष में से क्या प्रकट होता है और अभी उड़ीसा के पत्थर अयोध्या नही पहुंचे वह वहां से चल दिए हैं लेकिन अभी यहां पहुंचे नहीं है आज की तिथि निश्चित थी जो आज तक पहुंच गए हैं उनका परीक्षण हुआ है और आने के बाद उनका विचार करेंगे 1 महीने के भीतर।
-गोविन्द देव गिरी ( श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट कोषाध्यक्ष ) —अलग अलग स्थानों से अलग अलग मूर्तिकार यहां पर आए है 5 से 6 लोग पधारे हैं और बड़ी आस्था से उन्होंने अपने यहां से पत्थरो को यह पर भेजा भी है यहाँ पर सब एक साथ मूर्तियों का सब परीक्षण भी कर रहे है ये पत्थर कर्नाटक से आये है ये पत्थर राजस्थान से आये है ये पत्थर अन्य जगह से भी आये है अब इन सब का परीक्षण निरीक्षण हो करके और जो उसमें चयन होगा और उसका चयन हम अंत में करेंगे लेकिन अभी जो दो तीन अच्छे लगेंगे उन दो तीन लोगों को सभी लोगो को मूर्ति बनाने के लिए बोलेगे और उन मूर्तियों में जो सबसे अच्छा विग्रह हम लोगों को अच्छा लगेगा उसका चयन किया जाएगा पहले तो पत्थरों की परीक्षा जो है यह 1 महीने तक किसी को पत्थर भेजना है लाना है दिखाना है उसके लिए अवसर है उसके बाद हम नए पत्थरो को स्वीकार नहीं करेंगे अब यह मूर्ति की प्रक्रिया है हमें ऐसा लगता है हम दीपावली से पहले इसका निर्णय कर लेंगे यहां पर सभी लोग अपने अपने नीलवर्ण के अलग-अलग शेष दिखा रहे हैं और उन शेष में से क्या प्रकट होता है वह हम लोगों को देखना है और जैसे ही वह प्रकट होगा अभी हमें कोई राजस्थान के भाई मिले उन्होंने कहा हम आपको ब्लू कलर का संगमरमर देते हैं तो मैंने कहा दिखाओ अभी तो हम पूरी तरह से खुलकर एक्सपर्ट से डिसाइड नहीं किए हैं अभी उड़ीसा के पत्थर यहां पहुंचे नहीं वह वहां से चल दिए हैं लेकिन अभी यहां पहुंचे नहीं आज की तिथि निश्चित थी जो आज तक पहुंच गए हैं उनका परीक्षण हुआ है और आने के बाद उनका विचार करेंगे 1 महीने के भीतर।
वही मूर्ति चित्रकार वासुदेव कामथ ने कहा कि भगवान राम लला की प्रतिमा ऐसी होगी कि भगवान राम लला अपने दोनों पैरों पर खड़े रहेंगे इस प्रकार की प्रतिमा बनाई जानी है जो कि खड़ी रहने के लिए मजबूती के लिए कुछ उसमें प्रभाव पीछे रखना है और भारतीय शिल्प विज्ञान जो है उसके अनुसार मूर्ति का रेखांकन किया जाएगा।
मैं सिर्फ चित्र बना रहा हूं दो पैर पर खडे रहेगे मूर्ति बैठी हुई नही और भारतीय शिल्प विज्ञान जो है और उसके अनुसार मूर्ति का रेखांकन होगा और मेरे ड्राइंग में जो अब तक मुझे बताया गया है कि खड़ी रहने के लिए मजबूती के लिए कुछ उसमें प्रभाव पीछे रखना है फिर कपड़े के जो कोट होते हैं उसको ठीक करना है मजबूती की दृष्टि से यह बात बताए गए हैं और कुछ सुझाव ऐसे भी हैं शिल्पकार से मुकुट पहनाना हो अलग से बाद में सिंगार के समय यदि कपड़े पहना ना हो गहने डालने हो तो उसमें क्या-क्या बदल आवश्यक है यह सब चित्र में करने पड़े हैं।