बैरीखाला की आशा को हाईकोर्ट से मिली राहत
मामला बस्ती जिले के हरैया तहसील के ग्राम पंचायत गयाजीतपुर बैरीखाला का है। जहां पर तत्कालीन ग्राम प्रधान के द्वारा वर्ष 2006 से आशा के पद पर कार्यरत जंतीरा देवी के स्थान पर रेनू देवी का चयन करने का प्रस्ताव गलत तरीके से जनवरी 2024 में पारित कर दिया गया था। जिसके बाद गांव में उपचुनाव हुआ और प्रधान उमेश चंद्र चुने गए। जब उमेश चंद्र को इस बात की जानकारी हुई तो उन्होंने पुनः बैठक कर उनकी नियुक्ति निरस्त करने का प्रस्ताव पारित कर अधीक्षक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गौर बस्ती को दिया। अधीक्षक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गौर ने उनकी नियुक्ति को 10 जून 2025 के आदेश से निरस्त कर दिया।
जिसके बाद पुनः मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा दिनांक 17 जुलाई 2025 को श्रीमती जंतीरा देवी को मुडिलवा ग्राम पंचायत में और रेनू देवी से ग्राम पंचायत गया जीतपुर बैरी खाला में काम लेने का आदेश जारी किया गया। उक्त आदेश के खिलाफ श्रीमती जंतीरा देवी के द्वारा उच्च न्यायालय में अपने अधिवक्ता के एल तिवारी के माध्यम से याचिका दायर कर किया गया।
जिसकी सुनवाई न्यायमूर्ति अजीत कुमार की बेंच ने की। सुनवाई के समय याचिका कर्ता के अधिवक्ता के एल तिवारी ने कोर्ट को अवगत कराया कि जब गांव सभा ने प्रतिवादी संख्या 5 के चयन एवं नियुक्ति को निरस्त करने का प्रस्ताव पारित कर दिया है और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, बस्ती के अधीक्षक द्वारा 10.06.2025 को परिणामी आदेश पारित कर दिया गया है, तो मुख्य चिकित्सा अधिकारी को गाँव सभा के प्रस्ताव को रद्द करने का कोई अधिकार नहीं है। गाँव सभा द्वारा ही गाँव सभा के प्रस्ताव में कोई भी सुधार किया जा सकता था।
सुनवाई के उपरांत उच्च न्यायालय ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी बस्ती के द्वारा जारी आदेश दिनांक 17-07-25 को स्थगित करते हुए याची को राहत प्रदान किया है।