विश्व थायराइड दिवस पर विशेष
थायराइड का महिलाओं में अधिक जोखिम, लक्षणों को नजरअंदाज न करें
हाइपरथायरायडिज्म और हाइपोथायरायडिज्म: पहचानें अंतर और लक्षण
-बचाव के उपाय, जांच की आवश्यकता और विशेषज्ञ की सलाह
ग्रेटर नोएडा, 24 मई 2025,थायराइड संबंधी समस्याएँ दुनियाभर में करोड़ों लोगों को प्रभावित करती हैं, लेकिन इसके बावजूद इसके कारणों, लक्षणों और बचाव के तरीकों को लेकर जागरूकता की कमी है। थायराइड ग्रंथि गर्दन के सामने स्थित एक तितली के आकार की ग्रंथि है, जो मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करने वाले हार्मोन बनाती है। जब यह हार्मोन अधिक बनने लगता है, तो इसे हाइपरथायरायडिज्म कहते हैं और जब कम बनता है, तो हाइपोथायरायडिज्म कहलाता है।
डॉ. प्रमिला रामनिस बैथा, डायरेक्टर इंटरनल मेडिसिन, फोर्टिस ग्रेटर नोएडा ने बताया कि थायराइड रोगों के प्रमुख कारणों में ऑटोइम्यून डिसऑर्डर (जैसे हाशिमोटो रोग या ग्रेव्स डिजीज), आयोडीन की कमी, आनुवंशिकी और कुछ दवाओं के साइड इफेक्ट्स शामिल हैं। लक्षणों में वजन का अचानक बढ़ना या घटना, थकान, शरीर में सूजन, बाल झड़ना, त्वचा में रूखापन या अत्यधिक पसीना आना, खून की कमी (एनीमिया), मासिक धर्म-सम्बंधी अनियमितताएँ, हाथ-पैरों में कंपन, कब्ज या दस्त, और गले के सामने गांठ (गॉइटर) जैसी समस्याएँ देखी जाती हैं।
उन्होंने कहा कि महिलाओं में पुरुषों की तुलना में थायराइड की समस्याएँ अधिक होती हैं क्योंकि उनमें हार्मोनल उतार-चढ़ाव (जैसे गर्भावस्था, मेनोपॉज) और ऑटोइम्यून रोगों का खतरा अधिक होता है। परिवार में थायराइड रोग का इतिहास, रेडिएशन एक्सपोजर या आयोडीन-रहित आहार भी जोखिम बढ़ाते हैं।
डॉक्टर प्रमिला ने बताया कि हाइपरथायरायडिज्म अधिक गंभीर माना जाता है क्योंकि इसमें मरीज की स्थिति तेजी से बिगड़ सकती है और थायराइड स्टॉर्म (जानलेवा जटिलता) का खतरा रहता है। वहीं, हाइपोथायरायडिज्म में लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं, जिससे इलाज का समय मिल जाता है, लेकिन गंभीर मामलों में माइक्सिडीमा कोमा हो सकता है।
बचाव के लिए आयोडीन युक्त नमक, सी-फ़ूड का सेवन, पत्तागोभी और सोयाबीन जैसे गॉइट्रोजनिक खाद्य पदार्थों से परहेज, और नियमित जांच (खासकर जिनके परिवार में थायराइड इतिहास है) जरूरी है।
थायराइड रोगों का समय पर निदान और इलाज संभव है। जागरूकता और सावधानी से गंभीर जटिलताओं को रोका जा सकता है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयासों के तहत आयोडीन युक्त आहार को बढ़ावा और महिलाओं व जोखिम वाले ग्रुप की नियमित जांच पर जोर दिया जाना चाहिए। स्वास्थ्य संबंधी कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।