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अधिक प्रोटीन व नमक से खराब हो सकती है किडनी

 वर्ल्ड किडनी दिवस पर विशेष

अधिक प्रोटीन और नमक से खराब हो रही है किडनी की सेहत

डायबिटीज भी नुकसान पहुंचा रहा है किडनी को



आधुनिक जीवनशैली, बढ़ता प्रदूषण, पेनकिलर्स, एंटासिड और प्रोटीन सप्लीमेंट्स का अधिक सेवन भी किडनी की सेहत को खराब कर रहा है। इतना ही नहीं नियमित रूप से दर्द निवारक दवाओं और एंटासिड का सेवन किडनी के लिए नुकसानदायक हो सकता है। साथ ही, बाहरी प्रोटीन सप्लीमेंट्स के अधिक उपयोग से भी किडनी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। भारत में किडनी रोगों की बढ़ती संख्या को लेकर चिकित्सा विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है। विशेषज्ञों के अनुसार, डायबिटीज किडनी रोग का सबसे बड़ा कारण बन रहा है, और भारत को 'डायबिटीज कैपिटल' कहा जाता है, जिससे देश में किडनी रोगों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।



वर्ल्ड किडनी दिवस के अवसर पर डॉ. अंकित गोयल, मैश विभागाध्यक्ष - यूरोलॉजी, एंड्रोलॉजी और यूरो-ऑन्कोलॉजी ने लोगों को जागरूक करते हुए बताया, "भारत में किडनी रोग से पीड़ित लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, खासकर 40-70 आयु वर्ग के लोग इससे बहुत प्रभावित हो रहे हैं। मधुमेह, हाई ब्लड प्रेशर और मोटापा इसके मुख्य कारण हैं, लेकिन वायु प्रदूषण, खराब खानपान और निष्क्रिय जीवनशैली से यह समस्या अब कम उम्र में भी दिखने लगी है। दर्द निवारक दवाओं, प्रोटीन और क्रिएटिन सप्लीमेंट्स का अत्यधिक उपयोग किडनी पर दबाव डालता है। थकान, पैरों या चेहरे पर सूजन, झागदार पेशाब और हाई ब्लड प्रेशर जैसे लक्षण नजरअंदाज न करें। समय पर जांच और संतुलित आहार से किडनी रोगों की रोकथाम संभव है।”


डॉ. संकेत किशोर पाटिल, कंसल्टेंट नेफ्रोलॉजी, फोर्टिस ग्रेटर नोएडा, कहते हैं, "किडनी रोगों की रोकथाम के लिए समय पर स्क्रीनिंग बेहद ज़रूरी है। संतुलित आहार, दवाइयों का नियंत्रित उपयोग और जीवनशैली में सुधार से किडनी को स्वस्थ रखा जा सकता है। सही समय पर निर्णय लेने से किडनी फेल्योर जैसी गंभीर स्थिति से बचा जा सकता है।”


किडनी की बीमारियां आमतौर पर शुरुआती चरण में कोई स्पष्ट लक्षण नहीं दिखातीं, जिससे रोग की पहचान में देर हो सकती है। हालांकि, पैरों व आंखों के आसपास सूजन, ब्लड प्रेशर का बढ़ना, झागदार या खून मिश्रित पेशाब, अत्यधिक थकान आदि लक्षण नजर आएं तो तुरंत चिकित्सकीय परामर्श लेना चाहिए।


किडनी रोग से ग्रसित मरीजों को नमक और प्रोटीन के सेवन में कमी करनी चाहिए। इससे रक्तचाप को नियंत्रित रखने और रोग की प्रगति को धीमा करने में मदद मिलती है। डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को हर साल किडनी की जांच करानी चाहिए ताकि समय पर बीमारी का पता लग सके। प्रारंभिक अवस्था में किडनी रोग का पता लगने पर सही आहार और उचित दवाओं से रोग को नियंत्रित किया जा सकता है।

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