पति वियोग में पत्नि ने त्यागे प्राण, एक साथ दोनों का अंतिम संस्कार
झांसी जनपद के पूंछ क्षेत्र में बुजुर्ग दंपत्ति का एक ही दिन निधन हो गया। 70 बर्षीय रतिराम परिहार की मौत के 2 घंटे बाद उनकी पत्नी जानकी देवी भी पति के वियोग में चल बसीं। जानकी ने पति की मौत के बाद परिजनों को बुलाकर बताया था कि अब उनकी जीने की इच्छा खत्म हो चुकी है।
जीवन की डोर का रिश्ता इतना गहरा हो जाता है कि उसके बिना रहा नहीं जा सकता। जब पति की मौत हुई तो पत्नी, पति का वियोग सह नहीं सकी और थोड़ी ही देर में पत्नी की सांस टूट गई।
बताया गया है कि जनपद झांसी के पूंछ थाना क्षेत्र में धौरका ग्राम है, यहां रतिराम परिहार (70) अपनी पत्नी जानकी देवी(65) तथा परिवार के साथ निवास करते थे। कुछ समय पहले रतिराम लकवा की बीमारी से ग्रसित होने के कारण चलने फिरने में असमर्थ हो गये थे। परिजनों ने काफी इलाज कराया लेकिन उनकी बीमारी ठीक नहीं हुयी। उनकी पत्नी जानकी देवी देख-रेख करती रहीं। बताया कि वह हमेशा अपने बीमार पति के पास ही बैठी रहती, उनका ख्याल रखती थी।
पहले पति फिर पत्नी ने तोड़ा दम
रतिराम की बीमारी का कई जगह इलाज चल रहा था वह लगातार बीमारी से जंग लड़ रहे थे। आखिरकार, शुक्रवार शाम करीब 7:00 बजे उनका निधन हो गया। जिससे परिजनों में कोहराम मच गया।
पति की मौत की खबर सुनते ही जानकी देवी के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। कुछ देर बाद उन्होंने अपने बेटों-बहुओं और परिवार के अन्य लोगों को बुलाया। उनसे कहा कि वह अब जीना नहीं चाहती। पति के बिना उनका जीवन व्यर्थ है, उनके जीने की इच्छा समाप्त हो चुकी है। वह अपने परिवार के सभी लोगों से मिलती रहीं और करीब 2 घंटे बाद उनकी भी सांसें थम गयीं। देखने वाले भी पति-पत्नी के इस प्रेम और अटूट बंधन को देखते रह गये।
एक चिता पर हुआ पति-पत्नी का अंतिम संस्कार
दोनों की मौत के बाद आस-पड़ोस और उनके रिश्तेदार एकत्रित हो गये। जल्द ही यह घटना क्षेत्र में चर्चा का बिषय बन गयी। लोगों ने दोनों की अरथी तैयार की और उन्हें श्मशान घाट ले गये। शनिवार दोपहर करीब 12:00 बजे एक ही चिता पर दोनों का दाह संस्कार कर दिया गया।
बता दें कि रतिराम और जानकी के तीन बेटे, विनोद प्रमोद और प्रवीण हैं। तीनों की शादी हो चुकी है और बच्चे भी हैं। उनके पिता की मौत के बाद मां का भी निधन हो गया, अब परिवार में शोक व्याप्त है।