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51 साल बाद घर पहुंचा बुजुर्ग, देखिये रिपोर्ट

 किशोरावस्था में गायब हुए 68 साल बाद सीनियर सिटीजन बंन कर लौटे, दिल्ली और श्रीलंका में गुजर गए जीवन के 51 वसंत


 बचपन में अचानक घर से गायब हो गए। उस समय उम्र महज 17 साल की थी। परिजनों ने काफी खोजबीन किया। लेकिन कोई पता नहीं चल सका। काफी समय बीत गया। जब घर वापस नहीं लौटे तो परिवार के लोग इनकी आशा छोड़ चुके थे। गांव पर इनके हिस्से की जमीन भी थी। पिता की मृत्यु के बाद इनके गायब होने की दशा में जमीन भी इनके नाम नहीं आई। जीवन के 51 साल में कुछ समय दिल्ली और अधिकांश समय श्रीलंका के समुद्र तट पर बीत गया। 

 गोंडा जिले के कौड़िया थानाक्षेत्र के ग्राम पंचायत जेठपुरवा के मजरा गोसाई पुरवा के रहने वाले त्रिजुगी नारायन किशोरावस्था में करीब 17 वर्ष की उम्र में अचानक घर से कहीं चले गए। काफी समय तक परिवार के लोगों ने इनकी खोजबीन किया। लेकिन इनका कोई पता नहीं चल सका। एक बार इनके गांव के ही कुछ लोगों ने इन्हें दिल्ली में देखा। इसके बाद इनको एक बार करीब 32 वर्ष पहले छोटे भाई के गौना में लोग इन्हें बुलाकर लाये। उसके दूसरे दिन यह फिर चले गए। इस दौरान इनकी दिल्ली से एक व्यक्ति से मुलाकात हुई। वह इन्हें अपने साथ श्रीलंका लेकर चला गया। और वहीं पर छोड़ दिया। जहां पर इन्होंने करीब 30 वर्ष समुद्र के तट पर व्यतीत किया।

 गोंडा जिले के जेठपुरवा के रहने वाले त्रिजुगी नारायन बताते हैं कि दिल्ली में उन्हें एक व्यक्ति मिला। जो उन्हें पानी के जहाज से श्रीलंका लेकर चला गया। उसने त्रिजुगी को बताया कि श्रीलंका में तुम्हारी नौकरी लगवा देंगे। लेकिन जब यह वहां पर पहुंचे तो इन्हें कोई काम नहीं मिला। कुछ दिनों तक उसने इन्हें खाना पानी दिया। इनके मुताबिक वह वापस लौट आया। उसके बाद यह समुद्र के तट के किनारे रहने लगे। वहां के लोग इन्हें भोजन पानी दे दिया करते थे। ऐसे में करीब 30 वर्ष गुजर गए। काफी समय बीत जाने के बाद इन्हें अपने देश भारत का रहने वाला एक व्यक्ति मिला। उससे इन्होंने अपनी सारी व्यथा बताई। वह पानी के जहाज से लेकर इन्हें आंध्र प्रदेश के हैदराबाद में लाकर छोड़ दिया। कुछ दिनों तक हैदराबाद में इधर-उधर घूमने के बाद यह ट्रेन पर बैठकर फिर दिल्ली वापस आ गए।

 त्रिजुगी नारायन बताते हैं कि हमारा दिमाग काम नहीं कर रहा था, कि हम घर कैसे चले आए। दिल्ली में गोंडा का रहने वाला एक व्यक्ति मिला। वह इनसे बातचीत करने लगा। बातचीत के दौरान उसने कहा कि तुम्हारी बोली भाषा तो गोंडा जिले जैसी लगती है। फिर इन्हें याद आया और इन्होंने कहा कि हम गोंडा के कौड़िया रहने के रहने वाले हैं। उसने पूछा कि अपने घर जाना चाहते हो तो इन्होंने घर आने की इच्छा व्यक्त किया। जिस पर उसने इन्हें स्टेशन लाकर ट्रेन पर बैठा दिया। इसके बाद यह गोंडा पहुंच गए। इनके जमाने में कोयला वाली ट्रेन चलती थी। गोंडा पहुंचने के बाद इन्हें एक बार फिर असमंजस हुआ। लेकिन जब इन्होंने कौड़िया का नाम लिया। तो उनके भाई को जानकारी मिली। और वह जाकर इन्हें लेकर आए। इनके आने के बाद परिवार में खुशी का माहौल है।

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