अपने ही हाथों से सरयू नदी की कटान से तोड़ रहे अपना आशियाना
कुदरहा विकासखंड के मदरहवा में 10 दिन शांत रहने के बाद सरयू नदी का कहर फिर से चालू हो गया। भोर में 4:00 बजे राज बिहारी पासवान के घर का पिछला हिस्सा नदी में समाने लगा, तो घर की वह साड़ी में सोए परिजन भाग कर बाहर निकले और शोर मचाना शुरू कर दिया। शोर सुनकर अगल-बगल के लोग भी इकट्ठा हो गए। लोगों ने देखा नदी बंसीलाल की रिहाई सी छप्पर की तरफ कटान कर रही थी देखते ही देखते बंसीलाल का रिहाई शिक्षा पर नदी में समा गया और उसके बगल स्थित लगभग 40 साल पुराना प्रकार का पेड़ भी नदी में चला गया।
भोर में 4:00 बजे शुरू हुई कटान रुकने का नाम नहीं ले रही है, पूरा दिन कभी काम तो कभी तेज गति से कटान होती रही, और फिर प्रेमचंद का घर भी नदी में समा गया। काटन की स्थिति देखकर शेषराम का परिवार अपना घर तोड़ने में लग गया हैं। शेषराम की परिवार के लोग छत तोड़कर अब दीवाल की ईंट निकाल उसे ट्रैक्टर ट्राली पर लात कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचा रहे हैं। पिछले 10 दिनों में जो खौफ ग्रामीणों में थोड़ा-थोड़ा काम हो रहा था वह अचानक बढ़ गया, बाकी लोग भी अपने घर के बच्चे सामान को सुरक्षित स्थान पर पहुंचने में लग गए हैं।
कटान तेज होती ही बाढ़ खंड के राहत कार्य में भी तेजी आ गई है, जो मजदूर बड़का पूरवा की तरफ काम कर रहे थे उन्हें मदरहवा में फिर से बुला लिया गया और मजदूरों की संख्या भी बढ़ा दी गई है। काटन की जानकारी मिलते ही एक्सीएन दिनेश सिंह और एसडीओ बाढ़ खंड भी मौके पर पहुंचे और बचाव कार्य का जायजा लिया।
देर शाम ग्रामीणों ने बचाव कार्य बंद करवा दिया, ग्रैंडमदर ने आरोप लगाया कि यह बचाव कार्य न कही है इससे कटान नहीं रोकी जा सकती, इस बचाव कार्य से सिर्फ बाढ़ खंड के ठेकेदारों की जेब भर रही है, लोगों का कहना है कि बड़े पत्थरों को लाकर ही कटान रोकी जा सकती है। ग्रामीणों के विरोध के बाद बाढ़ खंड के मजदूरों ने कम पर विराम लगा दिया है।