डालमिया फार्म हाउस में करीब 400 हरे पेड़ों को काटने वाले 33 मजदूरों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है,
आपको बता दे कि 18 सितंबर की रात डालमिया फार्म हाउस में जेसीबी, पोकलेन मशीनों के साथ हरे भरे बड़े पेड़ों को काट डाला गया। हैरत की बात यह रही कि पूरा निजाम सोया रहा या सोने की एक्टिंग करता रहा और पेड़ कटते रहे। वन विभाग से लेकर बिजली और पुलिस तक को जैसे कोई खबर नहीं हुई। माना जा रहा है कि सब सेटिंग से हुआ है।
इस दौरान कई वन और पुलिस विभाग के आला अधिकारी छुट्टी पर थे। दरअसल यह पूरा खेल लगभग पांच सौ करोड़ रुपये से ज्यादा की प्रापर्टी का है। मूल रूप से यह जमीन डालमिया फार्म हाउस की है लेकिन इसमें शहर के पांच बड़े इन्वेस्टर जुड़े हैं। सबसे पहले इसका कच्चा सौदा शहर के एक बड़े पूंजीपति ने किया। चूंकि सौदा बड़ा था तो इसके बाद इसमें एक के बाद एक चार और बिल्डर जुड़ गए। ऐसे बिल्डर जुड़े जो कालोनी काटने में माहिर हैं।
थाना जैंत पर भारतीय वन अधिनियम अंतर्गत पांच धाराओं में दर्ज कराए मुकदमे में बताया गया है कि छटीकरा वृंदावन रोड पर डालमिया नामक परिसर में लगभग 300 हरे पेड़ों को माफिया एवं बिल्डरों द्वारा जेसीबी, मशीन पॉवर, पोकलिन मशीन व सैकड़ों मजदूरों को लेकर काट दिया। मौके पर प्राथमिक जांच में मालूम हुआ कि यह जमीन एंड संस के नाम है। बिल्डरों ने इस भूमि पर प्लाटिंग आदि की योजना बना ली है।
मौके पर एक व्यक्ति ने इस भूमि का बिल्डिंग प्लान भी उपलब्ध कराया था। वन कार्मिक की सहायता से डालमिया परिसर भूमि में 263 हरे पेड़ व 35 पेड़ छटीकरा वृंदावन मार्ग की बाईं पटरी पर काटे गए थे। पेड़ों के काटने के मामले में मालिक मैसर्स डालमिया संस, नारायण प्रसाद डालमिया निवासी लाला लाजपतराय सरानी, कोलकाता, श्रीचंद धनुका पुत्र शंकर लाल धनुका, अरुणा धनुका निवासी लोडन स्ट्रीट कोलकाता, मृगांक धानुका पुत्र चंद्र कुमार धानुका, गुरुकृपा तपोवन भूमि का मालिक, अन्य मालिक व बिल्डर, जेसीबी का मालिक, पोकलिन का मालिक व श्रमिक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था।
फिलहाल मथुरा जनपद में एक अफवाह उड़ रही है, कि इन बिल्डरों ने कई करोड़ रुपए में पूरे मामले को रफा-दफा करने का पूरा प्रयास किया जा रहा है, इस पूरे मामले में कितनी सच्चाई है, यह कहा नहीं जा सकता परंतु इस तरह की बातें बाजार में सुनने को मिल रही है, पुलिस ने मुख्य आरोपी शंकर सेठ को गिरफ्तार कर लिया था जिसे खड़े-खड़े ही जमानत मिल गई,जो पेड़ों की गिनती 300 बताई जा रही है, परंतु हकीकत उससे कुछ अलग है, 300 से भी अधिक पेड़ों को काटा गया है, परंतु वन विभाग के अधिकारियों ने सिर्फ 300 पेड़ ही फिर में एफआईआर में दर्ज करवाए हैं, पेड़ों का कटान करने वाले बिल्डर बड़े ही रसूखदार वाले हैं, अब देखना यह होगा कि इन जानी-मानी हस्तियों के खिलाफ प्रशासन कोई ठोस कार्रवाई करेगा या फिर एफआईआर में जो नाम दर्ज हुए हैं उसमें से कितने नाम निकाले जाएंगे।