हीरालाल रामनिवास स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय में शुक्रवार को बी एड विभाग के तत्वावधान में "समाज के निर्माण में शिक्षक की भूमिका" विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के मुख्यवक्ता जवाहरलाल नेहरू पी जी कालेज, महाराजगंज के पूर्व प्राचार्य प्रो दिग्विजय नाथ पाण्डेय ने कहा कि शिक्षा जीवन पर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया है। शिक्षण कार्य बहुत चुनौतीपूर्ण कार्य है जिसके कुशल निष्पादन हेतु शिक्षक को आजीवन विद्यार्थी बने रहना पड़ता है। एक अच्छा व सफल शिक्षक वही है जो आजीवन विद्यार्थी रहता है। शिक्षक भावी पीढ़ी का निर्माता होता है वह समाज निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देता है। भारतीय परंपरा में शिक्षक का स्थान ईश्वर से भी ऊपर बताया गया है। भारतीय इतिहास पर नजर डाले तो चाणक्य से लेकर राधाकृष्णन तक महान शिक्षकों की हर काल खण्ड में उपस्थिति रही है। भारत की समृद्ध संस्कृति में इन शिक्षकों का योगदान अद्वित्तीय रहा है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो ब्रजेश त्रिपाठी ने कहा कि आज बाजारीकरण के दौर में सामाजिक मूल्यो का पतन हो रहा है जिसका असर आज समाज के हर वर्ग पर दिख रहा है। आज शिक्षकों के सामने यह चुनौती है कि वे इस विषाक्त माहौल से स्वयं को एवं अपने विद्यार्थियों बचाते हुए उन्हें मूल्यो एवं परंपराओ से जोड़े रखना है। आज राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी आधुनिकता एवं परंपरा का समावेश करने का प्रयास किया गया है जिसकी सफलता शिक्षकों के प्रयासों पर निर्भर है।
आपने आगे कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज के समय में समाज के सबसे प्रतिभाशाली छात्र शिक्षक नहीं बनना चाहते।
इसके पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं अतिथियों के स्वागत से हुआ। बी एड विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ पूर्णश नारायण सिंह ने आगत अतिथियों का स्वागत किया। अपने स्वागत भाषण में आपने समाज में शिक्षकों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए छात्र छात्राओं को शिक्षक बनने के लिए प्रेरित किया।
प्रो विजय कुमार राय ने कार्यक्रम का संचालन किया एवं संगोष्ठी की रूप रेखा तथा उद्देश्यों को प्रस्तुत किया। श्रीमती अर्चना मिश्रा ने सभी का आभार ज्ञापन किया। कार्यक्रम में डॉ शशिकांत राव, डॉ विजय कुमार मिश्र, डॉ संध्या राय, मनोज वर्मा, विजय बहादुर, आशीष कुमार आदि शिक्षक एवं महाविद्यालय के छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।