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संगोष्ठी में भारत नेपाल संबंध पर हुई चर्चा

 हीरालाल रामनिवास स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय में  भारतीय वैश्विक परिषद नई दिल्ली एवं हीरालाल रामनिवास स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय  के संयुक्त तत्वावधान में "भारत-नेपाल सम्बन्ध: निरंतरता एवं परिवर्तन" विषयक पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन समारोह का आयोजन किया गया।



संगोष्ठी के द्वितीय दिवस के तृतीय तकनीकी सत्र की अध्यक्षता प्रो विजय कुमार राय एवं संचालन डॉ मनोज कुमार मिश्रने किया । इस सत्र में ऑनलाइन एवं आफलाइन माध्यम से 33 शोधपत्र प्रस्तुत किये गए। शोधपत्र प्रस्तुति के उपरांत अध्यक्ष प्रो विजय कुमार राय ने प्रस्तुत किये गए शोध पत्रों के विषयो की प्रसंगिकता की प्रशंशा की व शोध पत्रों में सुधार बिन्दुओं को इंगित किया। अपने भारत के सर्वजन सुखाय सर्वजन हिताय के सिद्धांत पर चलते हुए छोटे भाई नेपाल के प्रति भारत को बड़े भाई की भूमिका का समयक निर्वहन करने पर जोर दिया।

 

समापन समारोह के स्वागत भाषण के दौरान  प्रचार्य प्रोफेसर ब्रजेश कुमार त्रिपाठी ने सभी अतिथि गणों, वक्ताओं व श्रोताओं का स्वागत किया। समापन समारोह के अध्यक्ष प्रोफेसर रिपु सूदन सिंह, बाबा भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, ने भारत के विरुद्ध फैलाए गए धारणाओं पर चर्चा की। इन भारत विरोधी धारणाओं को भारत अपने गहरे सांस्कृतिक संबंधों के द्वारा दूर कर सकता है।

समापन समारोह के मुख्य अतिथि प्रो . हर्ष कुमार सिन्हा ने भारत पर नेपाल के विश्वास के निर्धारण तत्वों पर प्रकाश डाला। आपने बताया कि 1950 की नेपाल भारत की संधि को विश्वास की संधि बताया। आपने भारत को चीन के भारत के खिलाफ नॉरेटिव बनाने व उसे नेपाल के पड़ोसी राष्ट्रों में प्रचारित करने से भी आगाह किया।अपने चेताया कि भूटान दूसरा नेपाल बन सकता है।

विशिष्ट अतिथि डॉ महेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि अमेरिका नेपाल में चीन की भागीदारी को, चीन नेपाल में भारत की भागीदारी को व भारत नेपाल में चीन की भागीदारी को रोकना चाहते है। नेपाल अमेरिका, चीन और भारत के राजनीतिक व कूटनीतिक नीतियों का हिस्सा रहा है। भारत का नेपाल के साथ आर्थिक, सामाजिक, ऐतिहासिक एवं आध्यात्मिक सम्बन्ध रहा है परन्तु चीन का सिर्फ आर्थिक सम्बन्ध रहा है। आपने भारत को अपनी विदेश नीतियों की गलतियों, जैसे 2015 की "economic blokage" ने चीन को नेपाल का "passive partner" से " active partner" बना दिया,  को स्वीकारने और अपनी विदेश नीतियों में बदलाव करने की जरुरत है। भारत का HIT फार्मूला, हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट व अन्य प्रोजेक्टस नेपाल को अपने तरफ जोड़े रखने अच्छा पहल है।

विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर दिग्विजय नाथ पांडे ने बताया कि इस संगोष्ठी में 167 ऑनलाइन व 77 ऑफलाइन प्रतिभागियों ने प्रतिभा किया। अपने भारत नेपाल के रिश्तों को सुधारने के लिए राजनीतिक यात्राओं, समझौताओं व भारत द्वारा नेपाल को दिए जाने वाले आर्थिक सहायताओं की चर्चा की। 


एबीवीपी के क्षेत्रीय संगठन मंत्री घनश्याम शाही जी ने महाविद्यालय को ऐसे ज्वलंत विषय पर चर्चा के लिए बधाई दिया और आपने बताया कि शिक्षा के क्षेत्र में भारत किस तरीके से नेपाल के युवा वर्ग से जुड़ सकता है।


संगोष्ठी की सिफारिशों पर चर्चा की गई और उन्हें अंतिम रूप दिया गया।   संगोष्ठी में सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु सिद्धार्थ नगर से 155 प्रतिभागियों सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों से 65 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। संगोष्ठी में ऑनलाइन व ऑफलाइन मध्यम से तीन तकनीकी सत्र थे। इस संगोष्ठी में  प्रोफेसर राजेश चंद्र मिश्र, प्रोफेसर विजय कृष्ण ओझा, प्रोफेसर प्रताप विजय कुमार,डा. पूर्णेश नारायण सिंह, डॉ अमित कुमार भारती, नेहा सिंह, श्री विद्या भूषण, पुरुषोत्तम पाण्डेय, फखरे आलम , मनोज कुमार वर्मा, विजय बहादुर, सुश्री दीप्सी, डा. मनोज भारतीय , डा. हेमेन्द्र शंकर डा. अनुभव श्रीवास्तव डॉ अनुपम पति त्रिपाठी, डॉ अमित कुमार मिश्र , डा. महेन्द्र सुल्तानिया, शोभनाथ, सुनील, अनीश आदि उपस्थित रहे ।

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