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नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने बताया फार्मूला,सोच में पड़ गया विपक्ष

 कांग्रेस नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने सीट बंटवारे को लेकर दिया बड़ा बयान, लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न दिए जाने पर साधा निशाना,ज्ञानवापी फैसले को बताया महज कुर्सी के लिए फैसला।



 खबर गोंडा से है। जहां वरिष्ठ कांग्रेस नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी आज अपने एक दिवसीय दौरे पर गोंडा पहुंचे थे जहां कांग्रेस कार्यालय पर पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से मुलाकात की और आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा की। वही मीडिया से बात करते हुए वही इंडिया गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर के बाद बयान देते हुए कहा कई बैठे हो गई हैं लेकिन अभी फाइनल निर्णय सीट बंटवारे को लेकर के कोई नहीं लिया गया है औऱ इस मामले में कई बार बात हो चुकी है जिम्मेदारों के बीच में लेकिन अभी हम किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं। हमारे तरफ से अभी किसी भी प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं की गई है जिन लोगों ने प्रत्याशियों के नाम की घोषणा की है यह सवाल आप उनसे पूछिए। वहीं भाजपा पर जमकर हमला बोला श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में बुलावे पर नसीमुद्दीन बोले की कहा चले गए शंकराचार्य प्राण प्रतिष्ठा करवाते शंकराचार्य के बुलाने पर कांग्रेस के लोग श्री राम मंदिर प्राण में जाते लेकिन सबसे बड़े शंकराचार्य तो मोदी हो गए इसीलिए कांग्रेस के लोग नहीं गए। 


वही सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव द्वारा दिए गए सीट बंटवारे को लेकर दिए गए बयान का समर्थन करते हुए कहा कि जिताऊ प्रत्याशी को ही टिकट दिया जाएगा  अखिलेश यादव भी जिताऊ कैंडिडेट देख रहे हैं हम भी जिताऊ कैंडिडेट देख रहे हैं। हम इंडिया गठबंधन के एलाइंस पार्टनर हैं मजबूती के साथ और तालमेल से सामंजस बना करके समाजवादी पार्टी और कांग्रेस दोनों मिलकर के भारतीय जनता पार्टी का मुकाबला करेंगे और 2024 में सरकार बनाएंगे। वहीं बीजेपी की वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने पर निशाना साधते हुए कहा कि सैंया भए कोतवाल या यू कहें की अंधरा बाटे रेवड़ी आपन आपन को देय दे दो भैया जिसको देना हो और वैसे भी बहुत दिनों से उनको किनारे कर रखा था लालकृष्ण आडवाणी होने वाले प्रधानमंत्री थे लेकिन उनको साइट लाइन करके कोई दूसरे भैया आ गए और प्रधानमंत्री बन गए पहले भी भाजपा की सरकार थी तब नहीं दिया कर्पूरी ठाकुर को अब सम्मान देना वोट की राजनीति है। श्री राम मंदिर और ज्ञानवापी पर जो भी फैसला आ रहे हैं वह सिर्फ महज कुर्सी के लिए है और भारतीय जनता पार्टी चुनाव से पहले तरह-तरह के हथकंडे अपना रही है।


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