कासगंज में जन जागरुक बौद्ध सम्मेलन कार्यक्रम में स्वामी प्रसाद मौर्य का बड़ा बयान,
राम मंदिर का निर्माण देश की सर्वोच्च अदालत के आदेश पर हो रहा है, न कि भाजपा के आदेश पर,
राम मंदिर कार्यक्रम में शामिल होने नही जाऊंगा, यह भाजपा का निजी कार्यक्रम- स्वामी प्रसाद मौर्य ।
कासगंज जनपद के गंजडुंडवारा नगर में मंगलवार को बौद्ध एकता समिति गंजडुंडवारा के तत्वाधान में बौद्ध जन जागरूकता सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में सपा के वरिष्ठ नेता व उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य और दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री राजेंद्र पाल गौतम मुख्य अतिथि के तौर शामिल हुए। इस सम्मेलन का उद्देश्य समाज में सामंजस्य पैदा करना और बौद्ध धर्म के बारे में जन जागरूकता फैलाना है। इस अवसर पर सावित्रीबाई फुले और फातिमा शेख जिन्होंने 1848 में कन्याओं के लिए पहला स्कूल खोला था उनकी जयंती भी मनाई गई। सम्मेलन में बोलते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि संविधान बराबरी की आजादी देता है। संविधान के मुताबिक समाज से छुआछूत और भेदभाव की भावना खत्म होनी चाहिए। महिलाओं की शिक्षा पर भी समाज को ध्यान देना चाहिए। महिलाओं की शिक्षा के बगैर कोई भी समाज और देश तरक्की नहीं कर सकता। राष्ट्रमाता फातिमा शेख ने राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले का बहुत साथ दिया और जब सावित्रीबाई फुले को स्कूल की जगह की जरूरत पड़ी तो फातिमा शेख ने स्कूल खोलने के लिए अपने घर में जगह दी। आज की केंद्र सरकार शिक्षा का व्यवसायी करण कर रही है जो बहुजन समाज के हित में नहीं है।
आपको बता दें कि कार्यक्रम में संबोधन के दौरान सपा नेता व पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि राम मंदिर का निर्माण देश की सर्वोच्च अदालत के आदेश पर हो रहा है ना कि भाजपा सरकार आदेश पर। भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव में राम मंदिर निर्माण का लाभ उठाना चाहती है। शिक्षा का निजीकरण हो रहा है। बेरोजगारी बढ़ रही है। महंगाई अपनी पूरी चरम सीमा पर है। इसी दौरान दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि बोलने की आजादी ज्ञान से आई है, शिक्षा से आई है, शिक्षा ही जीवन में आगे बढ़ाने का माध्यम है। शिक्षा के समान अवसर हर किसी को प्रदान किए जाने चाहिए। यही कोशिश बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने की थी। आज की मौजूदा केंद्र सरकार सरकारी क्षेत्र में निजीकरण करके शिक्षा और नौकरी में समान अवसर को लगभग खत्म कर चुकी है। केंद्र सरकार बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के सपनों के खिलाफ काम कर रही है।