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सरकारी आंकड़ों में भारत मे बढ़ी बेरोजगारी,रिपोर्ट देख उड़ जाएंगे होश

 वरुण गांधी का अपनी सरकार पर हमला



 लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा सरकार भले ही जनता को अपनी योजनाओं व नीतियों का लाभ देकर पुनः सरकार में आने का दावा पेश कर रही हो लेकिन उन्ही की सरकार में सांसद वरुण गांधी भाजपा के लिए मुसीबत बनते नजर आ रहे है, दरअसल अपने संसदीय क्षेत्र पीलीभीत पहुँचे bjp संसद वरुण गांधी ने जनता सम्बोधन के दौरान न केवल अपनी सरकार की योजनाओं पर हमला बोला बल्कि सरकार द्वारा पेश किए गए आंकड़ो पर जमकर बरसे यही नहीं वरुण गांधी ने देश चलाने वाले pm मोदी पर निशाना साधते हुए पूजीपति उद्योगपतियो को रडार पर रखते हुए देश मे खाली पड़ी सरकारी नौकरियों को भरकर बेरोजगारी, शिक्षा स्वास्थ्य व्यवस्थाओ के सुधार की बात कही।

 सरकार में जो एलपीजी सिलेंडर दिए गए थे रसोई कैसे के उज्ज्वला योजना में 07 करोड़ लोग भर नहीं पाए क्या आपको पता है आज 90% सरकारी नौकरी संविदा पर लग रही है जब चाहे रख लिया जब चाहे फेंक दिया मैं एक बात पूछना चाहता हूं सरकार के आंकड़ो के अनुसार एक करोड़ सरकारी पद इस समय खाली है,, इसको क्यो नहीं भरा जा रहा क्योंकि सरकार पैसा बचाना चाहती है,, सरकार का काम व्यवसाय या बिजनेस करना नहीं है सरकार का काम है कि जो लोग अपने से खड़े नहीं हो पा रहे सरकार का काम है कि वह उनको दोनों हाथों से पकड़ कर खड़ा करें वरुण गांधी ने संसद में एक लड़ाई लड़ी और अपना एक बिल लेकर आए जिसका नाम भरोसा है भारतीय रोजगार संहिता इस पर भर्ती को लेकर मांग की गई लेकिन नहीं कि गई भर्ती। यह क्यों किया जा रहा है मैं आपको बताता हूं वास्तविकता यह है कि जो पैसे बचेंगे वह फिर चुनाव में जनता के बीच आटा चावल दाल बांटने में खर्च किए जाएंगे मैं कभी मजाक में एक शेर सुनाता हूं कि तेरी मोहब्बत में हो गए फना तेरी मोहब्बत में हो गए फना मांगी थी नौकरी मिला आटा दाल चना,, क्या यह कोई स्थाई समाधान है यह केवल एक छलावा है कितने लोग जाकर यहां से परीक्षा देते हैं आप कोई भी यूपी का एक भी परीक्षा देख लीजिए upssc, tet, यूपी पुलिस, uptet, सब एग्जाम में पिछले तीन सालों में पांच पांच साल में पेपर लीक हुए है।

 वरुण गांधी राजनीति में अपने नाम और जयकार के लिए नहीं आया वरुण गांधी राजनीति में आम आदमी के अधिकार को खेलने वाले लोगों के खिलाफ बोलने आया है और नेताओं की तरह मैं मौनी बाबा नहीं बन सकता। मै हर गांव में जाता हूं लोग कहते हैं हमारे घर में बीमारी है हम बहुत टूट चुके हैं अगर एक व्यक्ति किसी घर में बीमार होता है तो पूरे परिवार के सपने टूटकर बिखर जाते हैं जब कोई आम आदमी अस्पताल जाता है और आम आदमी सरकारी अस्पताल जाता है इस उम्मीद के साथ जाता है कि उसका इलाज होगा लेकिन 95% व्यक्ति को एक ही बात सुनाई पड़ती है कि राममूर्ति पीजीआई संजय गांधी ऑल इंडिया मेडिकल चले जाओ वहीं बेहतर इलाज मिलेगा सरकार से मैं एक बात पूछना चाहता हूं कि यह सरकारी अस्पताल क्यों बने हैं यह अस्पताल हैं या धर्मशालाएं इनकी कोई हैसियत नहीं है कि किसी आदमी की इलाज कर उसे बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं दे पाएं यह सब लोग निजी अस्पतालों से पैसे लेते हैं अगर जनता के पैसे कपड़े खरीदने गुटखा खरीदने मिठाई खरीदने कलम खरीदने पर टैक्स देते हैं तो यह देश जनता के पैसे से चलता है तो उसे सुविधा क्यों नहीं मिलती जनता कोई भिखारी नहीं है जिसके साथ मजाक हो रहा है यह सरकार की जिम्मेदारी है की जनता के स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारा जाए। ये निजी अस्पतालों में कोई परिवार अपने एक व्यक्ति को इलाज के लिए 15 से 20 दिन रख तो वह बुरी तरह टूट जाता है कि यह बचे या ना बचे लेकिन हम नहीं बच पाएंगे।

 सरकारी आंकड़ा कहता है की 54 फ़ीसदी लोग बेरोजगार हैं,, 2014 से अब तक 32 करोड़ लोगों ने सरकारी जॉब के लिए अर्जी डाली है उसमें से कुल 07 लाख लोगों को ही रोजगार मिल सका है,, पूरे देश मे 05 साल से जो निजी करण का सबंध चल रहा है उसमें 70 लाख लोगों को सेठो ने कम्पनी खरीदने के बाद नौकरी से निकाल दिया, क्यों कि आप सब जानते हैं कि जो सरकार ने लोग रखे हैं उन्हें अपना मुनाफा कमाने के लिए काम तो करेगा ही अब अगर 50 साल की उम्र में नौकरी से हटा दिया जाए तो उसे उम्र के व्यक्ति को नई नौकरी कैसे मिल सकेगी 70 लाख लोग निकल गए हैं उसे हिसाब से एक परिवार में 5 से 6 लोग होते ही हैं चार करोड लोगों के जीवन पर फर्क पड़ा है 15 से 20 लाख लोग हर साल स्नातक इंजीनियरिंग करते हैं लेकिन पिछले साल का आंकड़ा है कि इसमें से कुल 15% लोगों को ही नौकरी मिल सकी। मां बाप लाखों रुपए खर्च करके बच्चे को पढ़ाते हैं उसके बावजूद उनका बच्चा बेरोजगार घूम रहा है ऐसे में परिवार पर क्या गुजर रही होगी यह सोचने वाली बात है दुख की बात यह है की स्थाई शक्ति नहीं दी जा रही सरकार शक्ति दे रही है आटा दाल चना चुनाव के दौरान सिर्फ इतना होता है कि तेरी मोहब्बत में हो गए फना मांगी थी नौकरी मिल आटा दाल चना।

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