मृतक को चाहिए एके- 47 का लाइसेंस, मुख्य सचिव को भेजा पत्र, कहा सरकार की व्यवस्था से खिन्न हूं, मृतकों की जान माल की रक्षा के लिए चाहिए लाइसेंस
जीवित मृतक की सुरक्षा को मृतक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल बिहारी मृतक ने सरकार से अब एके-47 राइफल का लाइसेंस मांगा है। मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन को भेजे पत्र में मृतक ने कहा कि जीवित मृतकों को लेकर लड़ी लंबी लड़ाई, भ्रष्टाचार व धोखाधड़ी के खिलाफ किए गए संघर्ष के चलते जानमाल की सुरक्षा को लेकर उक्त लाइसेंस की जरूरत है।
मूलरूप से मुबारकपुर थाना क्षेत्र के अमिलो निवासी लालबिहारी मृतक का जन्म छह मई 1955 केा निजामाबाद तहसील के खलीलाबाद गांव में हुआ था। पिता की मौत के बाद ग्राम प्रधान व तहसील स्तरीय अधिकारियों ने उसे मृत घोषित करते हुए उसके पिता की संपत्ति पर चचेरे नाबालिग भाईयों का नाम दर्ज कर दिया। 18 वर्षो तक लाल बिहारी ने सरकारी रिकार्ड में खुद को जीवित कराने को लेकर संघर्ष किया। 30 जून 1994 को मुख्य राजस्व अधिकारी व जिलाधिकारी आजमगढ़ ने लाल बिहारी को सरकारी रिकार्ड में जीवित घोषित किया। खुद को जीवित घोषित कराने को लेकर लाल बिहारी ने कई हथकंडे अपनाए। टिक्ठी के साथ लोक सभा व विधान सभा का चुनाव लड़ा। टिक्ठी के साथ चुनाव लड़ने के साथ ही लाल बिहारी ने मृतक संघ का भी गठन किया। जिसके बैनर तले वह जीवित मृतकों की लड़ाई लड़ने लगे। सैकड़ों की संख्या में जीवित मृतकों को कागजाें में जिंदा कराया। टिक्ठी के साथ चुनाव लड़ने के दौरान ही लाल बिहारी प्रसिद्धि देश के साथ ही दुनिया में फैल गई। उसके चुनाव की कवरेज करने को अमेरिका तक से टीम आयी। इतना ही कागज नाम से लाल बिहारी के जीवन पर फिल्म भी बनी और वर्तमान में एक और फिल्म की स्क्रीप्ट लिखी जा रही है। सरकारी रिकार्ड में खुद को मृतक घोषित किए जाने का लाल बिहारी प्रशासनिक अमले को जिम्मेदार मानते है। जिसके चलते ही उन्होंने सरकार पर 25 करोड़ के मुआवजे का भी दावा किया था। हांलाकि उनके इस दावे को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। अब लाल बिहारी मृतक ने मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन को पत्र लिख कर जानमाल की रक्षा व सुरक्षा के लिए एके-47 राइफल का लाइसेंस खुद व अन्य जीवित मृतकों के लिए निर्गत किए जाने की मांग किया है।
मीडिया से बात करते हुए लाल बिहारी ने कहा कि उन्होंने अपने साथ ही दस्तावेजों में मृत सभी लोगों के लिए एक-47 की मांग इसलिए की है की जीवित लोगों के लिए तो लाइसेंसी असलहे हैं । मृतकों के लिए सरकार कम से कम एक-47 दे दे जिससे कि वह अपने जान माल की रक्षा कर सकें उनका कि वह शासन की व्यवस्था से खिन्न हैं। अधिकारी कर्मचारी मिलकर जनता का शोषण कर रहे हैं।
