यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एलब्रुस पर फहराया है तिरंगा
-तिरंगा फहराने के बाद जिले में आगमन पर पर्वतारोही का कछौना में हुआ स्वागत
-पर्वतारोही अभिनीत मौर्य ने टेबल टॉप जम्मू कश्मीर जून 2022 की पहली यात्रा की
-दूसरी यात्रा माउंट माचोई कारगिल की सबसे ऊंची चोटी जम्मू कश्मीर सितंबर 2022
-तीसरी चढ़ाई केदारकंठा ट्रैक पीक उत्तराखंड नवंबर 2022
-चौथी तपोवन ट्रैक उत्तराखंड मई 2023 व पांचवीं चढ़ाई 22 अगस्त 2023 को यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एलब्रुस ऊंचाई 18510 फीट पर देश की आन बान शान तिरंगा फहराया
-हरदोई के ग्राम सांता निवासी पर्वतारोही अभिनीत मौर्य छोटी उम्र में यूरोप की सबसे ऊंची पर्वत माउंट एलब्रुस को फतहकर सफलता हासिल कर भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया।गांव सहित जिले का नाम रोशन किया।इस गौरव के क्षण में जिले में आगमन पर कछौना में जोरदार स्वागत किया गया, इस दौरान फूल माला पहनकर सम्मानित किया गया।उन्होंने इस सफलता का श्रेय परिजनों मित्रों शुभचिंतकों को दिया।
यूरोप महाद्वीप की सबसे बड़ी चोटी माउंट एलब्रुस पर्वत पर अभिनीत मौर्य को बेहद मुश्किल से सफलता मिली। एलब्रुस पर्वत एक सुप्त ज्वालामुखी है,जो कांकस क्षेत्र की कांकस पर्वत श्रृंखला में स्थित है। अभिनीत मौर्य एक गरीब परिवार से हैं, मां का निधन बचपन में हो गया था, पिता कृषि कार्य कर परिवार का भरण पोषण करते हैं, बड़ा भाई नागेश्वर मौर्य जन सेवा केंद्र गांव में संचालित करते हैं।पिताजी चंद्रपाल किसान है। अभिनीत मौर्य की प्राथमिक शिक्षा प्राथमिक विद्यालय आंट सांट में हुई, जूनियर की शिक्षा गिरधरपुर में, हाई स्कूल गांधी इंटर कॉलेज बेनीगंज, इंटरमीडिएट की शिक्षा राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय कछौना, स्नातक विज्ञान वर्ग से एसएमडी पटेल महाविद्यालय, वर्तमान समय में आईटीआई डॉक्टर भीमराव अंबेडकर संस्था लखनऊ में चल रही है। अभिनीत मौर्य की माता का नाम राजरानी मौर्य, जिनका 2004 में निधन हो गया था। पर्वतारोही अभिनीत मौर्य ने अभी तक टेबल टॉप जम्मू कश्मीर जून 2022, दूसरी यात्रा माउंट माचोई कारगिल की सबसे ऊंची चोटी जम्मू कश्मीर सितंबर 2022, तीसरी चढ़ाई केदारकंठा ट्रैक पीक उत्तराखंड नवंबर 2022, चौथी तपोवन ट्रैक उत्तराखंड मई 2023 व पांचवीं चढ़ाई 22 अगस्त 2023 को यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एलब्रुस ऊंचाई 18810 फीट पर देश की आन बान शान तिरंगा फहराया, यात्रा काफी मुश्किल थी। रास्ते में तेज बर्फीली हवाएं और हड्डियों को जमा देने वाली ठंड थी। विपरीत परिस्थितियों के बावजूद दृढ़ संकल्प से सफलता अर्जित की, चढ़ाई के दौरान तापमान -25 डिग्री तक पहुंच गया था। 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बर्फीली हवाएं चल रही थी, जिन्होंने कई बार रास्ता रोका। चोटी पर तिरंगा लहराते ही अभिनीत मौर्य का उत्साह दो गुना हो गया।