सरकारी दावे पूरी तरह हुये फेल ,पूरी रात अंधेरे में डूबे रहे गाँव
अपनी मांगों को लेकर 72 घंटे के सांकेतिक हड़ताल पर रात्रि 10 बजे से गए बिजली विभाग के कर्मचारियों की हड़ताल सफल रही । वैकल्पिक विद्युत आपूर्ति के दावे ध्वस्त हो गए क्योंकि हड़ताल के पहले ही दिन अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति पूरी रात नहीं हुयी,गॉव बिजली बिना अंधेरे में डूबे रहे |
सूत्रों की माने तो बिजली विभाग से जुड़े लोगों का यह कहना है कि सरकार हमारी जायज मांगों के प्रति गंभीर नहीं है और एस्मा के डर से कर्मचारियों को दबाना चाह रही है जो कदापि नहीं होगा । सांकेतिक हड़ताल के जरिए अभी हम लोग सरकार को आइना दिखाकर कर केवल यह साबित करना चाह रहे हैं कि सरकार भी यह जाने कि लोकतन्त्र में बिजली विभाग का भी योगदान है | बिना बिजली विभाग के पूर्ण लोकतंत्र की कल्पना नहीं की जा सकती है । प्रशासनिक स्तर पर हड़ताल से निपटने हेतु मजिस्ट्रेटों व राजस्व विभाग तथा पंचायत विभाग के कर्मचारियों की वैकल्पिक ड्यूटी कागजों में लगायी गयी है | हेल्पलाइन नम्बर भी जारी किए गए हैं परन्तु हकीकत यह है कि हेल्प नम्बर नहीं उठ रहा है व हड़ताल से निपटने हेतु लगाए गए कर्मचारी आंकड़ों में केवल दिखाने मात्र के लिए हैं| उनका कोई लाभ नहीं दिख रहा है | नतीजा कि गांव विद्युत आपूर्ति के अभाव में अंधेरे में डूब गए हैं ।
ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि जब प्रशासन को पहले ही पता था की बिजली कर्मियों की हड़ताल होने वाली है तो प्रशासन ने पहले से ही वैकल्पिक व्यवस्था क्यों नहीं किया | या इस उम्मीद में प्रशासन बैठा था की हड़ताल टल जायेगी |ऐन मौके पर जब अधिकारीयों को जिम्मेदारी दी गयी तब तक काफी देर हो चुकी थी |
सबसे बड़ी बात यह है कि यह आलम बस्ती जिला ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के लगभग सभी जिलों में यही स्थितियां हैं। जहां पर प्रशासन विद्युत व्यवस्था को सुचारू ढंग से चलाने का दावा तो कर रहा है पर धरातल पर चारों तरफ सिर्फ और सिर्फ अंधेरा नजर आ रहा है।
