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यूपी के इस जिले में होती है गधों की पूजा, माता का इनपर है विशेष आशीर्वाद

 कौशाम्बी के ऐतिहासिक अद्भुत गर्दभ मेले मे होती है गधों की पूजा-



यूं तो देश में कई जगह कई तरह के अद्भुत मेले लगते हैं लेकिन हम उत्तर प्रदेश के कौशांबी में लगने वाले जिस गधों के मेले के बारे में आपको बताने जा रहे हैं उसके बारे में जानकर आप दंग रह जाएगे।आपने कभी सोचा भी नहीं होगा कि भारत में जिस गधे को सब अपशब्द कहके भगाने का प्रयास करते हैं और गधा कहके लोगों को भी मुर्ख कि श्रेणी देते हैं, उसी गधे की इस मेले मे पूजा होती होगी. जी हां आपने बिलकुल सही समझा गधों कि ये पूजा माँ शीतला देवी के दरबार धामकड़ा में होती है. और इसका मुख्य कारण है कि गधा माँ शीतला देवी का वाहन है और 51 शक्तिपीठों में कड़ाधाम भी एक शक्तिपीठ है जहां माता शीतला का विश्व प्रसिद्ध मंदिर है .कहा जाता है कि यहां अनादि काल से चैत्र माह में तीन दिवसीय विशाल गर्दभ मेले का आयोजन हो ता आ रहा है।

इस मेले में धोबी समाज के लोग न केवल गर्दभों कि खरीद फरोख्त करते हैं बल्कि इसी मेले मे वो अपने बेटी बेटों एवं बहनों का विवाह भी तय कर लेते हैं ऐसी मान्यता है कि इस मेंले तय किए गए रिश्ते काफी सुखद एवं सफल रहते हैं।कौशांबी जिले के ऐतिहासिक एवं पौराणिक स्थल शक्तिपीठ कड़ाधाम स्थित माँ शीतला के धाम में लगने वाले गधों के इस विशाल मेले में कई प्रदेशों से व्यापारी एवं गधे आते हैं. इस मेले को पूरे देश में गर्दभ अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है।माँ गंगा के पावन तटपर स्थित माँ शीतला  के धाम का यह अद्भुत मेला प्रतिवर्ष चैत्र महीने के प्रथम कृषणपक्ष में षष्ठी तिथि से लेकर अष्टमी तक लगता है. एक खास विरादरी के लोगो के अलावा अन्य गर्दभ मालिकान चैत्र महीने में कृष्ण पक्ष की पंचमी से ही अपने गधो को बेचने के लिए इस मेले में आने लगते है।गधो को मेले में ले जाने के पहले व्यापारी अपने गधो को गंगा में स्नान कराते हैं और स्वयं भी गंगा में डुबकी लगाते हैं. फिर रंग बिरंगे रंगो और सजावटी समानों से सजाकर गर्दभ को बेचने के लिए ले जाते हैं मेले में हजारों की संख्या में गधे पहुंचते हैं इसलिए सभी व्यापारी अपने अपने कदमों को एक विशेष प्रकार के कोड का इस्तेमाल कर उन्हें एक खास कोड के रंगों से रंगते हैं ताकि भीड़ में अपने गधों को पहचान सके और उनका गधा भीड़ मे कहीं खो ना पाए।

इस मेले में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के अलावा राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, बिहार, जम्मू कश्मीर, छत्तीसगढ़ और अन्य प्रान्तों से व्यापारी खरीददारी के लिए आते हैं।

वैष्णो देवी यात्रा में उपयोग होते हैं कड़ा धाम से खरीदे गए खच्चर 

पंजाब व अन्य प्रदेशों से आये व्यापारी बताते हैं कि वैष्णों देवी की यात्रा के लिए कड़ाधाम के गर्दभ मेला से खरीदे गए खच्चर बहुत ही उपयोगी होते हैं।शक्तिपीठ कड़ा धाम के तीर्थ पुरोहित रामायणी प्रसाद पंडा ने बताया कि है कि जो भी भक्त  कड़ा धाम पावन गर्दभ मेला मे आकर सच्चे मन से मां शीतला के वाहन गर्दभ महराज को दूध और घास खिलातें हैं ऐसा करने से उनके परिवार के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. माता शीतला की विशेष कृपा भी उन्हें प्राप्त होती है

 कुल मिलाकर कड़ा धाम में लगने वाला गर्दभ मेला अपने आप में काफी अद्भुत है|


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