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कमाई का जरिया बनी डबल डेकर बस, प्रशासन मौन




डबल डेकर बसों का अवैध संचालन रोकने में नाकाम है प्रशासन

बस्ती में पंजीकृत हो रही हैं गैर प्रान्तों की बसें, अफसर मेहरबान
डबल डेकर बसों की अवैध कमाई में हिस्सेदार हैं अफसर

 उन्नाव में हुये भीषण सड़क हादसे में 40 लोगों की जान चली गई थी। ये हादसा डबल डेकर बस से हुआ है। जांच हुई तो बस का संचालन मानकों पर न होना पाया गया। लेकिन इतने बड़े हादसे से सबक लेकर डबल डेकर बसों के खिलाफ कार्यवाही करने की बजाय स्थानीय प्रशासन स्कूल बसों के पीछे पड़ा है। दरअसल इस सख्ती से जिम्मेदार अफसर विभाग की असल कमियांं पर परदा डालना चाहते हैं।

उक्त बातें यहां प्रेस को जारी विज्ञप्ति में राष्ट्रीय मानवाधिकार सेवा ट्रस्ट के प्रदेश मीडिया प्रभारी महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहीं। उन्होन स्थानीय प्रशासन एवं परिवहन विभाग के अफसरों से स्कूल बसों का निरीक्षण किये जाने के साथ ही डबल डेकर बसों पर भी शिकंजा कसने की मांग किया है। महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा बिहार और अन्य प्रान्तों की बसें बस्ती आरटीओ आफिस में आकर रजिस्टर की जाती हैं। इससे महकमे के भ्रष्टाचार का अंदाजा लगाया जा सकता है। बस्ती का फर्जी नाम पता दिखाकर दर्जनों डबल डेकर बसों का अवैध संचालन विभागीय अफसरों की मिलीभगत से हो रहा है।

हैरानी इस बात की है कि जिला प्रशासन का ध्यान बिलकुल इधर नही है। महेन्द्र श्रीवास्तव ने विभाग के जिम्मेदार अफसरों से लिखित सूचना देकर कहा है कि हाल ही में महाराष्ट्र से आईं दो बसों (एमएच 04 जीपी 0099 तथा एमएच 04 जीपी 0999 के मालिक बस्ती में इसे रजिस्टर्ड कराना चाहते हैं, इसे रोका जाना निहायत जरूरी है। बस्ती के अफसरों की लचर व्यवस्था के चलते दूसरे प्रान्तों से आकर यहां लोग भ्रष्टाचार की जड़ों में पानी डाल रहे हैं। इस पर रोक नही लगी तो अफसरों का काला चिट्ठा सामने लाया जायेगा।

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